लेखक की कलम से

शिक्षक की गौरव गरिमा…

शिक्षक की गौरव गरिमा,अद्भुत और विशेष है।

शिक्षक से ही चलता यहाँ,देखो सम्पूर्ण देश है।।

 

हर युग,हर काल में, बदलता जिनका नाम है।

कोई शिखर पर विराजे,कोई यहाँ गुमनाम है।।

गुरुः ब्रम्हा,गुरुःविष्णु,गुरु शिव,और गणेश है–

 

गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को,नर श्रेष्ठ बनाया था।

द्रोण ने गांडीवधारी को,सर्वश्रेष्ठ बताया था।।

विश्वा बिन श्रीराम जी,कैसे बनते अवधेश है–

 

कर्ण के पुरुषार्थ को,परशुराम ने ही संवारा था।

सांदीपनि ने ही श्रीकृष्णचन्द्र,को निखारा था ।।

चंद्रगुप्त ने चाणक्य के साथ,काटे सारे क्लेश है–

 

रामकृष्ण बन नरेंद्र को,तुने ही राह दिखाया था।

रामतीर्थ बन शिवा को,हिन्दू गौरव बनाया था।।

प्रश्न न कोई ऐसा छूटे,जिसका उत्तर रहे शेष है–

 

राजनीति के समरांगण में,राजधर्म लड़खड़ाते हैं।

हर रूप में शिक्षक ही,संकट से पार लगाते हैं।।

इतिहास के पन्नों पर,जिनके दबे हुए अवशेष है–

 

शिक्षक निज कर्म से,शून्य को ब्रम्हांड बनाता है।

अपनी जादूगरी से जो,दिन में तारे दिखाता है।।

शिक्षक ज्ञान का सागर,शिक्षक शशि,दिनेश है–

 

राधाकृष्णन जी ने,शिक्षक का मान बढ़ाया था।

राष्ट्रपति के तुल्य,शिक्षक का कद बढ़ाया था।।

शिक्षक की गरिमा बनी रहे,बात यही विशेष है-

 

© श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)

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