लेखक की कलम से

आवरण सब उतार कर देखो …

 

कामनाओं  को  मार कर  देखो

आवरण  सब  उतार  कर  देखो

अपने प्रियतम को जीतने के लिए

खुद को हर सिम्त हार कर देखो।

 

प्रेम   अतिशय  पुनीत  होता   है

अपने अंतस का गीत होता  है

प्रेम की आग जलाए दिल में,

तप के  पावन   सुभीत  होता   है ।

 

प्रेम    मीरा   है,  प्रेम   राधा   है

प्रेम    पीड़ा  है,  प्रेम   बाधा   है

खुद को अर्पित किया कन्हैया पर,

राधा- मीरा  ने प्रेम   साधा  है।

 

 

©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज                

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