लेखक की कलम से

हरियाली का रखें ध्यान ….

 

धूप में तपिश बहुत है

पानी भी छलाये बादल।

उमस भयंकर बढ़ा रही

जीना मुश्किल लगने लगा।

 

मौसम की मार से बेहाल

झेल रहे सब मजबूरी में।

पर्यावरण गड़बड़ाया है

वृक्ष की महत्ता समझें सब।

 

पानी सूख रहा धरा से

नदिया पोखर सूख गए।

आधुनिकता से बाहर आकर

हरियाली का ध्यान रखना होगा।

 

गर्मी की तपिश बहुत बढ़ी

जीवन संकट मे लगने लगा।।

 

 

©अनिता शर्मा, झाँसी

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