लेखक की कलम से

कथा महाभारत की …

कहते हैं और सुनते आये हैं..
कथा है पुरानी पर बहुत ही सुहानी..

हे कृष्ण महिमा तुम्हारी
युग युगान्तर से चली आ रही है..
हे कृपालु…
कई प्रश्न उठते ही रहते हैं
आप साक्षात विष्णु हैं
शिशुपाल का वध करते हुए
सुदर्शन चक्र से आप की अंगुली कटी थी
अपितु…
प्रभु ये सत्य है आप स्वयं सिद्ध हैं
द्रौपदी के ऋणी बनने की महिमा??
अथवा आपने स्वयं रची ये रचना??
हे कृष्ण कृपालु ….
जिस तरह सूत -सूत कर द्रौपदी का ऋण चुकाया
ठीक उसी तरह आज के समाज
में अत्याचारों को स्वयं प्रकट होकर
दूर करें…
ये आपकी महिमा का अनुपम विधान है
जन जन में ऐसी ऋणी होने का संकल्प दें
ये द्रौपदी की रक्षा सूत्र ही थी
जिसकी शक्ति आज दृष्टिगोचर कर रही है
हे कृष्ण कृपालु ऐसी शक्ति ज्योति से
जग आलोकित कर दो ||

 

©इली मिश्रा, नई दिल्ली                      

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