मध्य प्रदेश

स्टेट प्लेन हादसा: पायलट की गलती, निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे था विमान…

भोपाल। राज्य सरकार के स्टेट प्लेन के ग्वालियर में इंडियन एयर फोर्स के विमानतल पर दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले में नागर विमानन निदेशालय ने अपनी जांच पूरी कर ली है। यह जांच रिपोर्ट डीजीसीए ने 1 दिन पहले राज्य शासन को भेज दी है। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अपनी जांच में इस एजेंसी ने विमान उड़ा रहे पायलट की गंभीर गलती मानी है। रिपोर्ट में डीजीसीए ने पायलट सैयद माजिद अख्तर और को पायलट शिव जयसवाल के लाइसेंस 1 साल के लिए निलंबित कर दिए हैं।

जो रिपोर्ट राज्य शासन को प्राप्त हुई है उसमें डीजीसीए ने पायलट की गंभीर लापरवाही का उल्लेख किया है। डीजीसीए ने अपनी जांच में माना है कि पायलट निर्धारित ऊंचाई से काफी नीचे था। यह दुर्घटना 6 मई 2021 को उस वक्त हुई थी, जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान राजकीय विमान इंदौर से ग्वालियर पहुंचा था। उस वक्त लैंडिंग के दौरान विमान काफी नीचे आई पर था और एयर फोर्स द्वारा लगाए गए करीब 30 फीट ऊंचे बैरियर से टकरा गया था जबकि रनवे से उसकी दूरी करीब 300 फुट पहले थी। इससे साबित हुआ कि पायलट ने समय से पहले विमान को नीचे कर लिया था।

 विमान रनवे से लगभग 300 फीट पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसका मतलब डीजीसीए ने माना कि पायलट ने विमान को निर्धारित गाइडलाइन का पालन नहीं किया। साथ ही उसे काफी नीचे कर लिया जहां उसे ऊंचाई पर होना चाहिए था। जिस जगह पर बैरियर से विमान टकराया वहां की ऊंचाई लगभग 30 फिट ही थी। ग्वालियर के जिस विमानतल पर विमान  दुर्घटनाग्रस्त हुआ इंडियन एयर फोर्स का है। उसे उड़ान और  लैंडिंग के लिए अन्य विमानतल की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक माना जाता है। विमान ने जब लैंडिंग की वहां पर पर्याप्त रोशनी थी मौसम पूरी तरह साफ था।

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि पायलट ने उतरते वक्त पूरी सावधानी और समझदारी नहीं बरती। इस विमान में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य वीवीआईपी उड़ान भरते हैं। सौभाग्य से उस वक्त कोई भी वीआईपी विमान में मौजूद नहीं था लेकिन किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के प्रवेश है यदि पायलट ने इस तरह की गलती की होती तो क्या होता?

राज्य सरकार को डीजीसीए की रिपोर्ट मिल गई है। डीजीसीए ने मुख्य पायलट सैयद माजिद अख्तर और को पायलट शिव जायसवाल का लाइसेंस 1 साल के लिए सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। हालांकि राज्य सरकार इस मामले में पायलट की गलती को गंभीर मानते हुए उन्हें बर्खास्त भी कर सकती है।

इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि 70 करोड़ का राजकीय विमान पूरी तरह कबाड़ में बदल गया है। इसका नुकसान प्रदेश के खजाने को सीधे तौर पर उठाना पड़ेगा। डीजीसीए और विमानन विभाग की तकनीकी टीम ने उसके दोबारा ठीक होने की संभावनाओं को पूरी तरह नकार दिया गया है। पायलट की गलती के कारण प्रदेश को इतने बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है।

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