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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागी विधायकों को विधानसभा में नहीं मिलेगी एंट्री, SC से तुरंत राहत नहीं

नई दिल्ली
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राहत देने से इनकार किया है। कोर्ट ने अयोग्य करार देने वाले स्पीकर के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, सबसे बड़ी अदालत ने स्पीकर को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 सप्ताह बाद होगी। गौरतलब है कि चुनाव आयोग पहले ही अयोग्य करार दिए गए विधायकों की सीटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है। इन छह सीटों पर 1 जून को उपचुनाव होना है।

सर्वोच्च अदालत ने अयोग्य करार दिए जाने के खिलाफ 6 बागी कांग्रेस विधायकों की अर्जी पर हिमाचल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग को खिराज करते हुए साफ किया कि अर्जी पर फैसला होने तक उन्हें विधानसभा में वोटिंग या कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत नहीं होगी।

सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो को कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन करने की वजह से विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कांग्रेस के व्हिप के मुताबिक उन्हें सदन में उपस्थित रहने और बजट के पक्ष में मतदान करने की आवश्यकता थी। इससे पहले इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की बजाय भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करके बगावत कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट से अयोग्यता पर रोक नहीं लगाए जाने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस को लोकसभा चुनाव के साथ ही छह सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में जुटना होगा। हिमाचल में छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के साथ 68 सदस्यीय विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष सहित पार्टी के सदस्यों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है। विधानसभा में 25 सदस्यों वाली भाजपा को तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है। खाली हुईं छह सीटें सरकार गिरा सकती हैं या बना सकती हैं क्योंकि सदन में बहुमत के लिए 35 विधायकों की जरूरत है।

 

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