भोपाल । मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापम को अब कर्मचारी चयन मंडल के नाम से जाना जाएगा। राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने व्यापम का नाम बदलने को लेकर अपनी तैयारी कर ली है। यह बदलाव बदनामी की वजह से किया गया है। इससे शिवराज की छवि पर असर पड़ता है। मध्य प्रदेश कैबिनेट में व्यापम का नाम बदलने को लेकर चर्चा हुई थी। जिसमें नाम बदलने के प्रोपोजल पर सहमति बनी थी। याद दिला दें कि पहले भी व्यापम का नाम बदल दिया गया था। इससे पहले व्यापम का नाम प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड रखा गया था।
व्यापम उस वक्त चर्चा में आया था जब साल 2013 में इसमें बड़े घोटाले का खुलासा हुआ था। आरोप लगा थे कि कई परीक्षार्थियों ने अधिकारियों को घूस दिया और अपनी जगह किसी दूसरे को बैठा कर प्रश्नों के उत्तर हल करवाए थे। मीडिया में यह खबर सामने आने के बाद से अब तक कई छात्र, इस केस से आरोपी और प्रत्यक्षदर्शी मर भी चुके हैं।
इतना ही नहीं उस वक्त मध्य प्रदेश के गवर्नर रहे राम नरेश यादव के बेटे शैलेश पर भी इस घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे थे। बाद में शैलेश का शव उनके घर पर मिला था। इस बहुचर्चित घोटाले में अब तक 100 से ज्यादा लोगों को सजा हुई है। कई केस अब भी अदालत में पेन्डिंग हैं।
हाल ही में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वर्ष 2013 के प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में धांधली करने के आरोप में 160 और आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया है। आरोपियों में प्रदेश के तीन निजी मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष भी शामिल हैं। इसके साथ ही इस मामले में अब तक कुल 650 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र विशेष अदालत में दाखिल किया जा चुके हैं। सीबीआई ने 2015 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जांच अपने हाथ में ली थी।