नई दिल्ली

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मांगी कोविशील्ड बूस्टर डोज को दवा नियामक से मंजूरी…

नई दिल्ली। ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते खतरे के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत में अपनी कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के बूस्टर डोज के लिए दवा नियामक से मंजूरी मांगी है। मामले से जुड़े कुछ अधिकारियों ने यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई को दी है। अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के की वजह से यह मंजूरी मांगी गई है।

सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया भारत की पहली कंपनी है जिसने कोरोना टीके की बूस्टर डोज लगाए जाने के लिए मंजूरी मांगी है। केंद्र सरकार ने भी संसद को यह जानकारी दी है कि कोरोना टीकाकरण के लिए बने नेशनल टेक्निकल ग्रुप ऑ इम्यूनाइजेशन और नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप भी बूस्टर डोज के वैज्ञानिक पहलुओं पर विचार कर रहा है।

राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने भी ओमिक्रॉन वैरिएंट सामने आने के बाद केंद्र सरकार से बूस्टर डोज को मंजूरी दिए जाने की मांग की है। बता दें कि हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में सीरम इंस्टीट्यूट के चीफ अदार पूनावाला ने यह कहा था कि संभवतः ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक एक नई वैक्सीन की खोज कर रहे हैं, जो इस नए वैरिएंट के खिलाफ बूस्टर डोज की तरह काम करेगी।

कोरोना का नया ओमिक्रॉन वैरिएंट सबसे पहले 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में रिपोर्ट हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इस वैरिएंट में सबसे ज्यादा म्यूटेशन यानी बदलाव हुए हैं। डरने वाली बात यह है कि वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में सबसे ज्यादा बदलाव की वजह से यह पहले के वैरिएंट्स की तुलना में और भी तेजी से फैल सकता है। दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, यह वैरिएंट जिन लोगों में पाया गया, उनका टीकाकरण पूरा हो चुका था। 

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