मध्य प्रदेश

विधानसभा में नक्सलवाद पर बवाल, पूर्व प्रोमेट स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा शब्दों पर बैन सहीं नही…

बीजेपी विधायक सिसोदिया ने कहा- क्या हम सदन में गाली-गलौज करें?

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन विधायकों पर शब्दों की आचार संहिता लगाए जाने से विवाद खड़ा हो गया। भोपाल हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक व पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि बंटाढार और नक्लवाद जैसे शब्द असंसदीय नहीं हैं। इन्हें विलोपित नहीं किया जाना चाहिए। इन शब्दों को बहाल किया जाए। भाजपा के ही सीनियर विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि असंसदीय शब्दों को लेकर किताब नहीं छपती, तो क्या हम सदन में गाली-गलौज करें?

विधानसभा सचिवालय ने संसदीय शब्द व वाक्यांश संग्रह किताब तैयार की है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने रविवार को इस किताब का विमोचन किया था। इसमें 1954 से अब तक के इतिहास में सदन में विधायकों द्वारा बोले गए 1161 वाक्यों को अससंदीय घोषित किया गया है। इनमें चोर, उचक्का, 420, झूठ, चोर, पागल, बकवास, भ्रष्ट, शैतान, लफंगा जैसे शब्द शामिल हैं। ये शब्द सदन के अंदर मंत्री और विधायकों के संबोधन व आरोप-प्रत्यारोप के लिए प्रतिबंधित किए गए हैं।

रामेश्वर शर्मा ने कहा कि दिग्विजय सरकार के 10 साल के कार्यकाल में जनता के बीच बंटाढार शब्द चर्चा का विषय बन गया था। यह शब्द कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की याद दिलाता है। ऐसे में बंटाढार शब्द को बहाल किया जाए। शर्मा ने नक्सलवाद जैसे शब्द को भी हटाने पर आपत्ति जताई है। उनका मानना है, अभी भी छत्तीसगढ़ के कई जिलों में नक्सलवादी गतिविधियां हो रही हैं। ऐसे में यदि नक्सलवादियों को नक्सलवादी कहकर न पुकारा जाए, तो उसकी जगह किस शब्द का इस्तेमाल होगा। ऐसे में नक्सलवाद-वादी शब्द को भी बहाल किया जाए।

उन्होंने बताया कि इन शब्दों को बहाल करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को एक पत्र लिखकर इस पुस्तक पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है, क्योंकि लोक व्यवहार, लोक वचन और लोक चरित्र को असंसदीय कर देंगे तो जनभावनाएं कहां से प्रकट होंगी? उन्होंने बताया कि चार अन्य विधायकों ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा, यदि किताब नहीं छपती, तो क्या हम सदन में अपशब्द बोलेंगे? यह किताब इस ओर इशारा कर रही है कि हमारा (विधायक) का आचरण फ्लोर (सदन) पर कैसा होना चाहिए। 2003 के चुनाव में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बंटाढार शब्द को बीजेपी का हथियार बनाया था।

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