नई दिल्ली

पांचजन्य से RSS ने बनाई दूरी, कहा- यह हमारा मुखपत्र नहीं ….

नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस को लेकर पत्रिका पांचजन्य के विचार से किनारा कर लिया है। इतना ही नहीं, आरएसएस ने पांचजन्य को अपना मुखपत्र मानने से भी साफ इनकार कर दिया है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रभारी ने पांचजन्य-इंफोसिस विवाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अलग करते हुए कहा कि भारत की उन्नति और विकास में इस आईटी दिग्गज कंपनी इन्फोसिस का अहम योगदान है। यह स्वीकार करते हुए कि कंपनी द्वारा विकसित पोर्टलों के साथ समस्या हो सकती है, उन्होंने ने कहा कि पत्रिका (पांचजन्य) संघ का आधिकारिक मुखपत्र नहीं है और विचारों को व्यक्तिगत माना जाना चाहिए।

आरएसएस प्रभारी सुनील अंबेडकर ने ट्वीट किया, ‘भारतीय कंपनी के नाते इंफोसिस का भारत की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है। इंफोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं, परंतु पान्चजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख, लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं, तथा पांचजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है। अतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस लेख में व्यक्त विचारों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।’

दरअसल, आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पोर्टल और भारत सरकार के नए आयकर पोर्टल के मुद्दों को लेकर इंफोसिस की आलोचना की है। इंफोसिस द्वारा विकसित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘पांचजन्य ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी पर हमला किया और पूछा है कि क्या कोई राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके माध्यम से भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

अपने लेटेस्ट एडिशन में पांचजन्य ने इंफोसिस ‘साख और अघात’ शीर्षक से चार पेज की कवर स्टोरी प्रकाशित की है और कवर पेज पर इसके संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर छापी है। लेख में बेंगलुरु स्थित कंपनी पर हमला किया गया है और इसे ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ बताया गया है। यह रेखांकित करते हुए कि इंफोसिस द्वारा विकसित इन पोर्टलों में नियमित रूप से दिक्कतें आती हैं, जिस वजह से करदाताओं और निवेशकों को परेशानी होती है, लेख में कहा गया कि ऐसी घटनाओं ने भारतीय अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कम कर दिया है।

लेख में कहा गया है कि सरकारी संगठन और एजेंसियां इंफोसिस को अहम वेबसाइटों और पोर्टलों के लिए अनुबंध देने में कभी नहीं हिचकिचाती हैं क्योंकि यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक है। लेख में हैरानी जताई गई है कि इंफोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टलों, दोनों में गड़बड़ियों के कारण, देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के भरोसे को अघात पहुंचा है। क्या इंफोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है? हालांकि लेख में उल्लेख किया गया है कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया है कि इंफोसिस पर कई बार ‘नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह’ की मदद करने का आरोप लगाया गया है। इसमें यह भी पूछा कि क्या इंफोसिस “अपने विदेशी ग्राहकों को भी इसी तरह की घटिया सेवा प्रदान करेगी?

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