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अयोध्या में बनेगा राम मंदिर, मस्जिद के लिए दूसरी जगह तय करे सरकार

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

दिल्ली। आज अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। पांच जजों के सर्वसम्मत फैसले में कोर्ट ने साफ कर दिया कि विवादित ढांचा इस्लामिक ढांचा नहीं था। सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए किसी अन्य जगह पर जमीन देने का निर्देश सरकार को दिया गया। विवादित जमीन को केन्द्र सरकार के हवाले कर दिया गया है जहां तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने सदियों से चल रहे विवाद का निपटारा कर दिया।


इसके पूर्व सभी पांचों जज एक साथ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे। वहां मौजूद करीब पांच सौ लोगों का अभिवादन स्वीकार करने के बाद स्थान ग्रहण कर फैसला सुनाना शुरू किया। सभी जजों की इस मामले में एक ही राय रही। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया। शिया वक्फ बोर्ड की अपील को पहले ही खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने यह भी माना कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी देर से याचिका प्रस्तुत किया।उसके बाद निर्मोही अखाड़ा को लेकर फैसले से प्रारंभ में ही स्प्ष्ट कर दिया गया कि उन्होने देरी से याचिका दायर की।

उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को साफ कर दिया कि विवादित जगह पर जो स्ट्रक्चर था वह इस्लामिक स्ट्रक्चर नहीं था। मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के नीचे से मिले स्ट्रक्चर को 12 वीं शताब्दी का माना गया।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में एएसआई की रिपोर्ट को बेहद अहम माना गया। हालाकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि एएसआई इस बात को लेकर साबित नहीं कर पाया कि किसी मंदिर को तोड़कर स्ट्रक्चर खड़ा किया गया। बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था। 22-23 दिसम्बर 1949 की रात ढांचे के भीतर मूर्तियां रखी गई हाईकोर्ट के इस फाइंडिंग को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया गया। चबुतरे पर 1855 से पहले से हिंदूओं का अधिकार था। भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था हिन्दूओं के इस विश्वास को गलत साबित करने का कोई सबूत या तर्क नहीं आया। अयोध्या राम जन्म भूमि है इस बात पर कोई विवाद नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को भी समझ से परे माना कि निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड को विवादित जमीन का हिस्सेदार बनाया। सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना केस साबित नहीं कर पाया। सुन्नी वक्फ बोर्ड को किसी अलग जगह पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश सरकार को दिया गया है।

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