लेखक की कलम से
काव्य रचियता …
मैं काव्य रचयिता
जीवन में रस भरती
छन्द, लय, भावों का सम्मिश्रण करती
कल्पना से सींचती
आनंद रस की पियूष धारा बहाती
शब्दों से सृजन करती
नवयुग के ताल, छंद को
रस, गंध को
लय के बंधनों को
जीवन के तुक, छंद को
क्रमबद्ध करती ……
मैं काव्य रचयिता
भाषा को भाव वाहक बनाती
मूर्त, अमूर्त भावों को शब्द-जामा पहनाती
भाव में शब्दों के तालमेल बैठाती
मैं काव्य रचयिता
शब्द धारा से संदेश बहाती
शब्द, भाव, रस, तुक, छंद द्वारा
“हारे नहीं मनुष्य जीवन संग्राम” में
संगीत गाती
मैं काव्य रचयिता
जीवन में रस भरती…
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता