लेखक की कलम से

संघर्ष का दौर …

संघर्ष का दौर अभी भी बाकी है।
मेहनत के साथ बढ़ते जाएं
कदम तुम्हारे कोलाहल में,
मौन अभी भी बाकी है ।
कुछ अपने जो रूठ गए हैं।
कुछ सपने जो टूट गए हैं।
हिम्मत ना हार रे मानव !
इन सुखी टहनिया में ओसो
की भोर अभी भी बाकी है।
उम्मीदों की पगडंडी पर अब
तुझे है,बढ़ते जाना
तेरी हिम्मतवाली मेहनत
का रीसफल अभी भी बाकी है।
गगनचुंबी है तेरा हौसला
उस हिमालय की चोटी का
छोर अभी भी बाकी है।
संघर्ष का दौर अभी भी बाकी है ।

 

©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान                 

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