लेखक की कलम से

कलम …

 

यह ताकत है कलम की

हर आंसू वह पढ़ लिख सकती है

हर गम को लिख सकती है

प्यार को बयां कर सकती है

यह ताकत तो है कलम की।

चिंगारी लगा देती है विचारों में

कदम रोक देती है भ्रष्टाचारियों की

हिम्मत तोड़ देती है मानव रूपी दानवों की

यह ताकत तो है कलम की।

पुराणों की रचना इसने की

बोल संगीत की इससे ही लिखी गई

रूप बना ईश्वर का इसी से

गीता का संदेश लिखा गया इसी से

यह ताकत है कलम की ।

जनमानस के विचारों को झकझोरती

समाज में बदलाव लाने का प्रयत्न करती कलम रोते हुए को भी हंसाती

कलम हंसते लोगों में संवेदना जगाती

यह ताकत तो है कलम की।

जुबान जो ना कह पाए

कलम उसे कह डालती

अचेतन मन की बातों को भी

कलम चेतनता ला देती

हां, यह ताकत तो है कलम की।

 

©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा

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