बंटवारा …
चित्र चिंतन
गांव गली ह सांकुर होगे,
कमती पड़गे जी हटवारा।
बेटा मन के मया सिरागे,
जब ले ददा ह दिस बंटवारा।।
महल अटारी, कुरिया होगे,
दाई ददा ह दुरिहा होगे।
बीच दुवारी म परदा खड़ागे,
नाती -पंथी के मया हजागे।।
कपिला गाय ल बछरु ह,
मारत हावय छटारा …
बहिनी ह का बांटा मांगिस,
वोकर तीजा पोरा ह छुटगे।
भाई-बहिनी के मया पिरीत,
अउ राखी के धागा ह टूटगे।।
दुनिया भर म निंदा होगे,
गांव, गली, पारा-पारा …
कथरी, चद्दर ह घलक बंटागे,
लोटा, थारी ह आज छंटागे।
ददा ल बड़खा बेटा ह राखे,
त दाई ह छोटे कर धंधागे।।
करलई होगे डोकरी-डोकरा के,
आज अलगागे मुंहू के चारा …
अनबनता के ओखी बनगे,
जेठासी म मिले परिया ह।
झगरा के मूड़ पेड़ बनगे,
बिन गतर के एक हरिया ह।।
भाई-बहिनी के जगा म समागे,
आज वोकर सारी-सारा …
कतको खपटे मेड़ पार ल,
खेत के रकबा ह नइ बाढ़त हे,
सुम्मत के मेड़ पार खियागे,
दुनों पांव ह संघरा नइ माढत हे।।
खेत के रुख-राई ह कटागे,
अउ सिरागे मवेशी के चारा …
कतको बाँटो घर-दुवार ल,
फेर दाई-ददा ल झन बांटो।
जेन रुख ह छइंहा देथे,
वोला कभु झन काटो।।
भाई-भाई जुरमिल के राहव,
आपस म बने रहय भाईचारा …
©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)