नई दिल्ली

महिला काव्य मंच द्वारा ऑनलाइन मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित …

नई दिल्ली। गत दिनांक 15 मई 2021 शनिवार को शाम 5 बजे से 7:30 बजे तक महिला काव्य मंच उत्तरी दिल्ली इकाई की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी गूगल मीट पर सफलतापूर्वक आयोजित की गई। गोष्ठी की अध्यक्षता महिला काव्य मंच उत्तरी दिल्ली इकाई की जिलाध्यक्ष श्रीमती डा.नीनू कुमार ने की। मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती ममता किरण (संरक्षक दिल्ली प्रदेश) एवं सानिध्य श्रीमती सविता चड्डा (मार्गदर्शक महिला काव्य मंच) का रहा। विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड से वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती ममता मंजरी एवं श्रीमती कल्पना शुक्ला (जिलाध्यक्ष अमेठी) एवं श्रीमती लतिका बत्रा की उपस्थिति रही। गोष्ठी का संयोजन एवं संचालन उत्तरी दिल्ली इकाई की उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू शाक्या द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती मंजू शाक्या द्वारा सरस्वती वंदना से किया गया।

कोरोना काल में हम सब कहीं न अवसाद के शिकार हुये हैं, हमारे महिला काव्य मंच से जुड़े हुए कई सदस्यों ने इस बीमारी में अपनों को खोया हैं, अतः दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के साथ। उत्तरी दिल्ली इकाई द्वारा काव्य गोष्ठी में सभी के चेहरों पर मुस्कान लाने का एक सम्भावित प्रयास करते हुये उपस्थित सभी कवयित्रियों द्वारा हास्य, व्यंग्य, श्रंगार एवं सामाजिक रचनाओं द्वारा सबको आह्लादित करने का प्रयास किया गया।

सर्वप्रथम श्रीमती उर्मिल गुप्ता द्वारा (दिल्ली) पतियों पर हास्य रचना थोड़ी देर के लिये भूले उम्र के पड़ाव को मंजिल तक हम लेके चले जिंदगी के चढाव को का काव्य पाठ किया गया। तत्पश्चात श्रीमती कामना मिश्रा ने अपनी देशभक्ति की रचना मैं भारत माँ की बेटी हूँ भारत माँ महान है वंदेमातरम् वंदेमातरम् सुनाकर सबके अंतर्मन को जोश से भर दिया.. और श्रीमती भारती शर्मा ने अपनी रचना में बुजुर्गों का महत्व बताते हुए जिसे बेगाना समझा था, वही अपना निकलता है, जो कल तक था मेरा सपना, वही अपना निकलता है काटो भूल से आँगन के उस बूढ़े से बरगद को, उसी की शाखा से आशीषों का झरना निकलता है की शानदार प्रस्तुति दी।

श्रीमती कुसुम लता पुंडेरा ने श्रंगार रस से भरपूर अपना गीत मेरे पहलू में आ बैठो मिलकर शाम बितायेंगे हौले-हौले मध्यम स्वर में गीत पुराने गायेंगें सुनाकर सबका दिल जीत लिया इसके साथ ही। श्रीमती पूनम माटिया ने एक खूबसूरत श्रृंगारिक ग़ज़ल ख़ुद ही रोने ख़ुद मुस्काने लगते हैं इश्क में डूबे लोग दीवाने लगते हैं से सबका मन मोह लिया। इसके बाद श्रीमती तृप्ति अग्रवाल ने इस कोरोना काल में दूर रहने वाले लोग भी करीब आकर किस तरह मदद कर रहे हैं ये बताते हुए अपनी रचना। गुण अवगुण के परे हृदय बीच रहते हर बात भी वो जान लेता चाहे कुछ न कहते और साथ ही एक – एक पात्र बुनकर हम बना लेंगें कहानी सुनाकर भावनात्मक पहलुओं को दर्शाया श्रीमती मीनाक्षी भसीन की रचना तुमसे मिली नज़र दिल पे हुआ असर सारी समझदारी मेरी धूमिल सी हो गयी सुनाकर सबको गुदगुदा दिया।

वर्तमान परिस्थितियों में मानव को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुये श्रीमती पूनम तिवारी अब जाग जा तू इंसान क्यों सोया चादर तान बहुत पछतायेगा सुनाकर श्रीकृष्ण को याद करते हुये सांवरे घनश्याम तुम तो प्रेम के अवतार हो प्रस्तुत की.. उनके बाद श्रीमती शशि पांडे ने अपनी हास्य व्यंग्य की रचना सज संवर कर जाऊं कहीं दिल करता है नाशपीटे कोरोना तू क्यों नहीं मरता है आजू बाजू कोई छींक दे तो दिल डरता है तुझको कच्चा खा जाने को दिल करता है को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। तत्पश्चात श्रीमती मंजू शाक्या ने अपनी ग़ज़ल ग़मों को दिल के कोने में दबाकर मुसलसल रहे हैं मुस्कुराकर वो जिनके दिल से बाहर हो गये हम उन्हें ही रख रखा दिल में छुपाकर प्रस्तुत की उसके बाद हमारी विशिष्ट अतिथि श्रीमती कल्पना शुक्ला ने नहीं जाता है।

मन के बाग से वो याद का मौसम मगर अच्छा नहीं है रोज़ ही फ़रियाद का मौसम विदाई वेदना की व्यर्थ ना होगी भरोसा रख सुहाना ही रहा है। पतझड़ों के बाद का मौसम अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया.. कल्पना के पश्चात झारखंड से हमारे बीच विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्रीमती ममता मंजरी ने काल आया तो हुआ क्या हम लड़ेगें काल से मात देंगे। काल को हम उसी की चाल से के साथ जल संरक्षण का महत्व समझाते हुये अपनी रचना हमें जिलाए रखता पानी, है जीवन आधार बिन पानी के धरती सूनी, सूना यह संसार की शानदार प्रस्तुति दीइनके साथ ही हमारी विशिष्ट अतिथि श्रीमती लतिका बत्रा का गोष्ठी में विशेष स्नेहाशीष सब को मिला गोष्ठी में उनकी उपस्थिति सराहनीय रही।

मुख्य अतिथि के रूप में हमारे बीच उपस्थित श्रीमती ममता किरन (संरक्षक दिल्ली प्रदेश) ने काश मैं भी जल हो पाती गुज़र पाती उन तमाम कंकड़ों से जो मेरी राह में आते अर्चना कर हर लेती लोगों का दुख-दर्द सिर्फ एक घूंट बन देती लोगों को जीवनदान दुखों से भरे उन तमाम हृदयों को भेद पाती अश्रु बन उनकी संगी कहलाती तर्पण बन करती उद्धार काश! मैं जल हो पाती। की शानदार प्रस्तुति दी एवं सविता चड्डा (मार्गदर्शक महिला काव्य मंच) जिनके सानिध्य में ये गोष्ठी हुई, ने अपनी नज़्म के द्वारा मनोबल मजबूत होना चाहिए संकल्प सिद्धी हो जाती है आसान शक्तियां जागृत हो जाती है, भगवान स्वयं हाजिर हो जाते हैं। मनोबल मजबूत होना चाहिए।

सभी को अपने अंदर विश्वास जगाने के लिए प्रेरित किया और अंत में जिनकी अध्यक्षता में ये गोष्ठी हुई उत्तरी दिल्ली की जिलाध्यक्षा डा नीनू कुमार ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये सबकी कलम को सराहा और अपनी रचना से जब हम प्रेम में होते हैं प्रेम छलकता है कोरों सें सांद्र हो कर और भिगो जाता है पछुआ पवन सा सृष्टी की हर शै को और ध्वनित हो जाता है कण कण उसी अनाम रागिनी के मधुर स्वरों में। जिसे नाम दे देती हूँ मैं …. प्रेम। बहुत सुंदर तरीके से प्रेम को परिभाषित किया। लगभग 2:30 घंटे चली इस गोष्ठी में सबकी रचनाओं ने ऐसा समां बांधा कि पटल पर एक उत्सव सा प्रतीत होने लगा। महिला काव्य मंच की अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं दिल्ली प्रभारी श्रीमती नीतू सिंह राय के समुचित दिशा निर्देशन में गोष्ठी सफल एवं प्रभावी रही।

Back to top button