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ऑनलाइन और हम …

 

बच्चों की  शिक्षा  पर जब

संकट  के  बादल  छाये थे।

शिक्षको ने कितने कष्ट उठाए थे।

विधार्थियो को सिखाने के लिए

हजारो यत्न उठाए थे।

शुरू हुआ था लॉकडाउन तो

इम्तिहान     की    बारी   थी।

वार्षिक परिणामों की खातिर

पैपर    चैकिंग   जारी   थी।।

जारी    जो    परिणाम   हुए

शिक्षक  हर्षाये थे।

शिक्षको के परिश्रम का ना मोल

कर पाऐगे।

विकट वैश्विक महामारी से जब सब

घबराये थे।

शिक्षिको के योगदान से

घर-घर विघालय के रूप मे

शिक्षा देने नियमित रूप से शिक्षक आये थे।

वेतन की परवाह नही

मेरे देश के भविष्य  पर जब बात आई।

शिक्षको ने हार नही मानी।

अब सभी ने हाथो मे लैप टॉप, स्मार्ट  फोन

थाम कर , असाइन मैट,गुगल प्रश्न पत्र बनाये थे।।

बच्चों  के  भावी जीवन  को

लेकर     सबसे    आगे   थे।

“हर-घर-स्कूल” बनाने  वाले

अध्यापक   सब   जागे   थे।।

ऑनलाईन कक्षा में  हर दिन

किसने     पाठ   पढ़ाए   थे?

खतरे का माहौल था फिर

अपना    फर्ज   निभाना   था।

सरकारी   आदेश   हुए   तो

डाटा- एन्ट्री   फोटो- ग्राफी

टीकाकरण  में  शामिल थे।

कर  डाला  हर काम, सभी

अध्यापक इतने काबिल थे।।

खेल-कूद, विज्ञान, गणित में

नाम     कमाने      वाले   हैं।

विद्यार्थी  जो   शत -प्रतिशत

अंकों   को   लाने   वाले  हैं।।

ब्रह्म     और    महेश्वर    की

संज्ञा  से   जिसे  नवाज़ा  है।

गुरु   नहीं   वह   मात्र,  कई

बच्चों  के  दिल मे विशेष  स्थान बनाते है।।

विद्या,  आदर  व  अनुशासन

का पाठ पढ़ाने के लिए ऑन लाइन

शिक्षा पद्धति भी अपनाते है।

वह शिक्षक ही है।

जो अपने शिष्य की प्रगति उन्नति मे

विशेष खुश हो जाते है।

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा                         

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