लेखक की कलम से

पक्षी समस्या पर…

पृथ्वी के ललाट पर

एक मुकुट की तरह

उड़ते पक्षी…..

अब गायब हो रहे हैं!

विकास के क्रम में

पक्षी,

शोभाशाली पक्षी

मैंने दूर से देखा…

और मेरी अंतरात्मा

चीख उठी!

बचाओ! इनको बचाओ!

ये नहीं तो

प्रातः की अद्भुत लाली और कलरव

का अनूठा सामंजस्य

कहां देखने को मिलेगा?

ये नहीं तो

प्रातः की प्राकृतिक नीरवता को

कौन मुखरित करेगा?

बचाओ!

पृथ्वी की सुभाश्री को

बचाओ! बचाओ!!….

-अल्पना सिंह (कोलकाता), शिक्षिका,कवयित्री

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