नई दिल्ली

ओमिक्रॉन के मामले जनवरी-फरवरी में बढ़ सकते हैं, कम लक्षण वाले केस ज्यादा आ सकते हैं सामने ….

नई दिल्ली । विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस के पूर्ववर्ती स्वरूपों की तुलना में ओमिक्रॉन से कम गंभीर संक्रमण होता प्रतीत हो रहा है। बताया जा रहा है कि ओमिक्रॉन का असर डेल्टा वेरिएंट से कम रहेगा। भारत में स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि अभी यह कोशिश की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना वैक्सीन का फुल डोज दिया जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइजर का टीका संक्रमण के खिलाफ कम रक्षा प्रदान करता नजर आ रहा है लेकिन यह अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को अब भी कम रखने में कारगर है। इस बारे में दक्षिण अफ्रीका में व्यापक स्तर पर किया गया एक विश्लेषण मंगलवार को जारी किया गया।  

कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट का कहर कई देशों में मौजूद है। भारत में अभी ओमिक्रॉन के केस जनवरी-फरवरी के महीने में बढ़ सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि जिस तरह डेल्टा स्ट्रेन ने रफ्तार पकड़ी थी हो सकता है कि यह वेरिएंट भी रफ्तार पकड़े। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन के ज्यादा माइल्ड केस ही सामने आएंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की तऱफ से कहा गया है कि ओमिक्रॉन तेजी से बढ़ रहा है और अभी यह दुनिया के 77 देशों में मौजूद है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ओमिक्रॉन से घबराने की नहीं बल्कि इसके ट्रांसमिशन को रोकने की जरुरत है।

फाइजर/बायोएनटेक टीके की दो खुराक महज 33 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन यह अस्पताल में भर्ती होने की दर 70 प्रतिशत कम कर देती हैं। यह क्षेत्र में टीके की प्रभाव क्षमता के विश्लेषण के बारे में क्षेत्र में व्यापक स्तर पर किया गया प्रथम विश्लेषण है। यह विश्लेषण, कोविड-19 जांच में 2,11,000 से अधिक मामलों की पुष्टि होने पर आधारित है। इनमें फाइजर टीके की दो खुराक लगा चुके 41 प्रतिशत वयस्क आबादी शामिल है। इनमें से जांच के 78,000 पॉजिटिव नतीजे 15 नवंबर से सात दिसंबर के बीच के हैं जो ओमिक्रॉन से संबद्ध हैं।

ये आंकड़े दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन की लहर के प्रथम तीन हफ्तों से लिए गये। दक्षिण अफ्रीका पहला देश है जहां ओमीक्रोन स्वरूप के मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई। डिस्कवरी हेल्थ के मुख्य कार्यकारी डॉ रयान नोच ने कहा , ”नेटवर्क फॉर जीनोमिक सरवेलिएंस इन साउथ अफ्रीका ने शानदार जेनेटिक निगरानी कर यह पता लगाया कि ओमिक्रॉन स्वरूप से संक्रमण देश में नये संक्रमण में 90 प्रतिशत से अधिक है और इसने पहले से प्रबल रहे डेल्टा स्वरूप की जगह ले ली।”

अध्ययन के नतीजों में पाया गया है कि जिन लोगों को टीके की दो खुराक लग गई थी उनमें ओमिक्रॉन से 33 प्रतिशत सुरक्षा पाई गई। साथ ही, फाइजर टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों के इसी अवधि में अस्पताल में भर्ती होने की दर 70 प्रतिशत कम रही जबकि डेल्टा स्वरूप की लहर के दौरान देश में यह दर 93 प्रतिशत थी।

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