लेखक की कलम से

ओ मेरे कृष्णा …

 

 

मनमंदिर में बस गये

मन गाये तेरे गीत

जपू रात दिन नाम तेरा

ओ मेरे कृष्णा..ओ मेरे

 

पलको की छांव में रखू

नैनो में तेरी छवि बसी

सदा पास तुम रखना हमे

ओ मेरे कृष्णा.. ओ मेरे,,,

 

 

मनोरथ है  निकट रहो तुम

मेरी पीड़ा को सुनो तुम

मत करना हमसे तुम छ्ल्

ओ मेरे कृष्ण,,,,,,।।।

 

 

©अर्पणा दुबे, अनूपपुर                   

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