लेखक की कलम से

कोई किसीका नहीं ….

 

दोस्ती प्रेम अपनापन

दोस्ती प्रेम अपनापन

बकवास है सब

सब बकवास है।

दो दिन के चोंचले है

सिर्फ़ दो दिन के

बकवास है कसमें वादे

सब बकवास है।

 

आज तू मेरी ज़िन्दगी है

कल बीता हुआ साल।

कोई नहीं है यहां किसीका

तोड़कर सारे बन्धन कर दे बुरा हाल।

नम आंखें तब छुपके छुपाके चलते हैं

बकवास है सारे कसमें वादे

सब बकवास है।

 

भूलना भुलाना बड़ा आसान है

रोना रूलाना बड़ा आसान है

दिल है या पत्थर समझ नहीं आता

जब चाहे मार दो हथौड़ा

कर दो टुकड़े टुकड़े

बकवास है सब

सब बकवास है।।

 

कभी तो तू ही शाम तू ही है सवेरा

तू ही चांद तू ही है चांदनी

कभी तेरे बिना उगता नहीं सूरज

बिन तेरे श्वास चलती नहीं

दो दिन बाद कौन है तू जानता भी नहीं

बकवास है कसमें वादे

सब बकवास है।।

 

 

©मनीषा कर बागची                           

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