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‘नीतीश कुमार ईमानदार हो सकते हैं लेकिन उनमें कोई दम नहीं’- भाजपा

पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक बार फिर कांग्रेस का साथ देकर नीतीश कुमार ने आखिरकार डॉ. राममनोहर लोहिया की समाजवादी विरासत की मौत की घंटी बजा दी है। हाल ही में नीतीश कुमार ने भाजपा नीत NDA से नाता तोड़ कर प्रदेश में महागठबंधन के साथ हाथ मिलाया। उन्होंने राजद व अन्य पार्टियों के साथ मिलकर रिकॉर्ड 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इस दौरान राजद नेता तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। नीतीश के इस फैसले से भाजपा आगबबूला है। उन्होंने कहा कि लोहिया की राजनीति कांग्रेस विरोधी थी। रविशंकर प्रसाद ने राजद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव कभी पारंपरिक समाजवादी नहीं रहे और न ही नीतीश कुमार।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश का ताजा उलटफेर परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के कद और अनुभव के किसी नेता द्वारा यह शायद सबसे बड़ी पलटी है और राजनीतिक इतिहास में एक मिसाल बन सकती है। भाजपा के पटना साहेब से सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार गठबंधन में सबसे लंबे समय तक हमारे साथ रहे। वह 1995 से 2013 तक हमारे साथ थे। इससे पहले, वह कुछ समय लालू प्रसाद के साथ और बाद में समता पार्टी में थे। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी ने हमेशा उनकी ईमानदारी और विकास की साख के लिए उन्हें सर्वोच्च सम्मान दिया।”

पूर्व कानून मंत्री ने कहा, “वह आठ बार सीएम बने हैं, उनमें से एनडीए ने उन्हें पांच बार सीएम बनाया है। यहां तक ​​कि जब 2014 के चुनावों में उनकी पार्टी दो सीटों पर सिमट गई थी, तब भी हमने उन्हें 2019 के चुनाव में लड़ने के लिए समान संख्या में (17) सीटें दी थीं।” उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों का जिक्र करते हुए कहा कि हमें जद (यू) के 43 की तुलना में 74 सीटें मिलीं, लेकिन नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया। हमने हमेशा नीतीश के प्रति बड़ी उदारता दिखाई है। हमारी लड़ाई भ्रष्टाचार के दोहरे तख्तों और लालू प्रसाद के कुशासन पर आधारित थी। लेकिन वह फिर से लालू के खेमे में आ गए।”

रविशंकर प्रसाद ने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने दम पर कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा, “मुलायम सिंह यादव, मायावती, ममता बनर्जी, केसीआर (के चंद्रशेखर राव), एमके स्टालिन और लालू प्रसाद जैसे लोग अपने दम पर सीएम बने, लेकिन नीतीश कुमार नाम का एक शख्स है, जिसमें अपने दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है।” उन्होंने कहा, “जब उन्होंने हमें छोड़ने का फैसला किया, तो उन्होंने नए जनादेश के लिए दबाव क्यों नहीं डाला? उन्होंने 2014 का चुनाव अकेले लड़ा और नतीजा देखो क्या रहा। वह वर्षों से दूसरों की मदद से सत्ता से चिपके हुए हैं। वे भले ही एक ईमानदार राजनेता हों लेकिन राजनीतिक रूप से अनैतिक हैं।”

इससे पहले नई सरकार के कार्यकाल पूरा नहीं करने के भाजपा के दावे को खारिज करते हुए कुमार ने कहा था कि 2015 में जैसे हमलोग साथ थे, फिर हो गए और बिहार के हित में काम करेंगे। जदयू के खिलाफ रची गई भाजपा की कथित साजिश की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा, ‘‘2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के साथ क्या हुआ था। मैं 2020 में मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता था। आप सभी साक्षी हैं कि तब से क्या हो रहा था । पार्टी के विधायक और उम्मीदवारों से पूछ लें, इस बारे में वे बता देंगे। सभी के लगातार इस बारे में बताने पर अंततः मुझे लगा कि जब सभी की इच्छा है तो उनकी इच्छा का स्वागत करते हुए फिर 2015 की तरह साथ हो गए और अब साथ मिलकर बिहार के हित के लिए काम करेंगे।’’

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