लेखक की कलम से

नव वर्ष …

 

जीवन जगत मन प्राण में सुख शांति

निर्झर सी बहे नव वर्ष मंगलमय रहे,

नव वर्ष मंगलमय रहे

 

तन ऊषा की लालिमा

मन भोर का सिंदूर हो

रश्मियाँ रवि सी बिखेरें

मगन मन का मयूर हो

स्वास्थ्य सुख सद्भाव की

जग में सदा गंगा बहे

नव वर्ष मंगलमय रहे .

 

घाट पनघट के

सभी जन के लिए

स्वीकार्य हों

कर्म आश्रित

हो विभाजन

द्रविड़ हों या आर्य हों

हर मनुज

उस ईश की संतान है

मिलकर कहें

नव वर्ष मंगलमय रहे.

 

खानपान समेत

पूजा घर

सभी के एक हों

मिले सबको

एक सा अवसर

इरादे नेक हों

सभी के सहयोग से

यह देश

शिखरों पर चढ़े

नव वर्ष मंगलमय रहे..

 

त्याग कर सारा अहम्

ईर्ष्या रहित जीवन बने

प्रेम सबसे कर सकें

ऐसा सुवासित मन बने

हर दुखों से दूर हों

हर प्राण से

अमृत झरे

नव वर्ष मंगलमय रहे..

 

जन समर्पित भाव लेकर

प्रगति हो विज्ञान की

बुद्ध हो हर व्यक्ति

बाले ज्योति

आत्मोत्थान की

ज्ञान और विज्ञान का

संगम सदा सम्यक रहे

नव वर्ष मंगलमय रहे

 

रूढ़ियों की हथकड़ी

विश्वास अंधा तोड़ दें

बने जो बाधा प्रगति में

उस नदी को मोड़ दें

सत्य शिव की धार

अब अनुकूल ही सबके बहे

 

नव वर्ष मंगलमय रहे,

नव वर्ष मंगलमय रहे..।

 

 @दिलबाग राज, बिल्हा 

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