लखनऊ/उत्तरप्रदेश

नया शोध : आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक का दावा, मच्छर-मक्खी का ब्रेन इंसान के दिमाग की तरह ही होता है ….

कानपुर । आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. नितिन गुप्ता की रिसर्च में नया खुलासा हुआ है। प्रो. नितिन मक्खी और मच्छर के मस्तिष्क व्यवहार पर अध्ययन कर रहे हैं। प्रो. गुप्ता के मुताबिक, अभी रिसर्च में काफी काम बाकी है। मच्छर व मक्खी का दिमाग (ब्रेन) भी मनुष्य की तरह व्यवहार (प्लानिंग) करता है। उनका दिमाग मनुष्य के दिमाग की तुलना में आकार में भले ही कई गुना छोटा होता है पर उनकी जरूरत के मुताबिक पर्याप्त होता है। एक-दूसरे से संपर्क करना, क्या खाना है-क्या नहीं खाना है, खतरा महसूस करने संबंधी अन्य गतिविधियों के पीछे न्यूरांस की विद्युत संवेदनाएं शामिल हैं, जो बिल्कुल मनुष्य के दिमाग के न्यूरांस गतिविधियों की तरह हैं।

आईआईटी बॉयोसाइंस एंड बॉयोइंजीनियरिंग विभाग के युवा वैज्ञानिक प्रो. नितिन गुप्ता पिछले कई वर्षों से मक्खी व मच्छर के दिमाग पर अध्ययन कर रहे हैं। वह यह जानने की कोशिश में लगे हैं कि मच्छर का दिमाग किस तरह काम करता है। उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है। मनुष्य के दिमाग की तरह ही मच्छर व मक्खी भी एक दूसरे से बातचीत करते हैं। न्यूरांस कम्युनिकेशन और उनके सर्किट बनने की प्रक्रिया लगभग समान है।

उन्होंने बताया कि मच्छर का ब्रेन जरूरत के हिसाब से कम एनर्जी यूज करने के बावजूद पर्याप्त है। देखने से लेकर गाने तक और याद रखने की क्षमता जैसी गतिविधियों का संचालन दिमाग मच्छरों में ठीक उसी तरह करता है, जिस तरह मनुष्य। कीटों में गंध को आधार बनाकर भी अध्ययन किया जा रहा है। किस गंध के प्रति वे कितना और क्यों आकर्षित होते हैं। मानव दिमाग और मच्छर दिमाग के बेसिक अंतर को भी समझना है।

प्रो. नितिन गुप्ता ने कहा कि अभी ह्यूमन ब्रेन संबंधी समस्याओं के जो इलाज होते हैं, वे हिट एंड ट्रायल टाइप के होते हैं, क्योंकि बहुत अधिक जानकारी न होने के कारण दवाएं भी बहुत कम हैं। इस रिसर्च से ह्यूमन ब्रेन संबंधी बेसिक नॉलेज में इजाफा होगा। नतीजा, ब्रेन संबंधी समस्याओं में अधिक कारगर दवाएं बन सकेंगी।

प्रो. नितिन गुप्ता ने बताया कि मच्छर और मक्खी का ब्रेन लगभग ह्यूमन ब्रेन की तरह व्यवहार करता है। इस रिसर्च की मदद से ह्यूमन ब्रेन को और अधिक विस्तार से समझना आसान होगा। कोशिकाएं कैसे कार्य करती हैं और वे कैसे एक दूसरे के कम्युनिकेट करती हैं, यह नॉलेज अभी लिमिटेड है। इसे बढ़ाने के लिए यह रिसर्च कारगर साबित होगा।

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