नारी और नदी को नवरात्रि के माध्यम से समग्र रूप से समझने की जरूरत, प्रख्यात कथाकार कंचन द्विवेदी का नवरात्रि पर खास लेख…
नवरात्रि 7 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है। दिल्ली बुलेटिन के माध्यम से गम्भीरतापूर्ण संदेश देना चाहती हूँ। “हमारे वेद,पुराण,ग्रंथ,संत,सब ने जिस देवी-स्वरुपा स्त्री कि महिमा पर मंत्र गाये हैं।
या देवी सर्व भूतेषु, शक्ति रूपेण संस्था।
नमस्तस्ए नमस्तस्ए, नमस्तस्ए नमो नमः।।
अच्छा एक बात जैसे समाज ने नारी के साथ दोहरा व्यवहार किया। वैसे ही नदी के साथ भी किया। दोनों को पुण्य के नाम पर भी उपयोग किया गया और पाप के नाम पर भी।
नदी- में पुण्य के नाम पर हर- हर गंगे कहकर डुप्पकी भी लगाई गई और पाप के नाम पर पूरे शहर का कचरा नदियों में डाला गया।
नारी- पुण्य के नाम पर नवरात्रि में देवी पूजन करके मंत्र भी गाये गये और पाप के नाम पर अल्ट्रासाउंड करा कर पेट के भीतर मार भी डाला गया।
लेकिन एक बात ध्यान देने की है समुचित भारत में अगर नदी खत्म हुई तो धरती से अनाज पैदा होना बंद हो जाएगा और अगर नारी खत्म हुई तो संपूर्ण मानव जाति पैदा होना बंद हो जाएगी। इसलिए पहले आप नदी का पूजन करें और अपने घर की नारी का सम्मान करें तब आप नवरात्रि में दुर्गा पूजा के हकदार हैं।।