मेरे सपने …
मैं भी
सब लड़कियों
की तरह
सफेद घोड़े वाले
राजकुमार के
सपने देखा
करती थी ….
जो दूर देश से
हवा में लहराता हुआ
डिम्पल डिम्पल चिल्लाते
स्लो मोशन में
मेरे पास आता था…
मेरे हर सपने में रंग भर देता था!!
पर तुम खडूस ने
एक सपना
न पूरा होने दिया मेरा!
क्या – क्या सपने न देखे मैंने..
सपनों की दुनिया में
अपने राजकुमार संग..
वो हीरो मेरा..
जो शाहरुख़ खान
की तरह
दोनों बाहें फैलाकर
डडड ड् डिम्पल कहता
और बिल्कुल
मैंने प्यार किया के
सलमान जैसे प्यार करता
कबूतर के हाथ जो
चिट्ठी भेजता
ऐसा था
मेरे सपनों का राजकुमार!
पर
फिल्मों ने तुम्हारा
दिमाग खराब
कर दिया है कहकर
तुमने तो
दिल ही
तोड़ दिया मेरा
शादी के बाद तो
वैसे भी
अरमानों पर
पोचा फिर जाता है..
दिल टूटने के
एक स्टेज आगे
बर्तन फूटने की
नौबत जो
आ जाती है!
बाहूबली देखकर
फिर सोए अरमान
जगे ही थे मेरे
ओ ओ रे राजा कहते- कहते
जैसे कंधों पर
चली थी देवसेना
ठीक वैसे ही पूरे साजो श्रंगार के साथ
फुदकते हुए ….एक पांव
बस, धरा ही था….
उस दिन
तुम्हारे कंधे की
नस टूटने के बाद
राम-राम
मैंने तो
सपने देखना ही छोड़ दिया!
©डिम्पल माहेश्वरी, जालोर, राजस्थान