लेखक की कलम से
मसूरी ….
हुस्न की वादियों में बसी, पहाडों की रानी मसूरी है ये।
गड्वाल का ताज हैं ,पर्यटको की दीवानगी मसूरी है ये।
चौड़े पतले,टेड़े मेड़े,रास्तो से चड़ते हुए बसी है ये,
जहाँ पानी भी ठंडा है और हवा भी बहती ठंडी हैं ये।
पर्यटनो के स्थलों से भरी हुई सुन्दर प्रलोभन्कारी हैं ये,
जो हर प्रेम करने वालों के अटूट प्रेम की मनोहारी है ये।
डूब जाये इसकी खूबसूरती मे ऐसी कलाकारी हैं ये,
लोगों के दिलों को जो जोड़ दे ऐसी ये न्यारी हैं ये।
©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड