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मप्र: उज्जैन में लग गया सांसों पर टैक्स! सुबह-शाम सैर करने वालों से होगी वसूली…

उज्जैन (कैलाश गौर)। उज्जैन शहर के लोगों अब अपनी सांसों के लिए टैक्स चुकाना पड़ेगा। ये टैक्स यहां की विक्रम यूनिवर्सिटी उन लोगों पर लगाने जा रही है, जो सुबह और शाम उसके कैंपस में सैर करने आते हैं। यूनिर्सिटी प्रशासन ऑक्सीजन टैक्स लगाने जा रहा है। ये टैक्स बहुत ही दिलचस्प होगा। विश्वविद्यालय परिसर में सुबह और शाम करीब 5 हजार से अधिक लोग मॉर्निंग वॉक पर आते हैं। इन लोगों पर अब ऑक्सीजन टैक्स लगाया जाएगा। सेल्स टैक्स, इनकम टैक्स, वैट टैक्स के साथ साथ अब शहर वासियों को अब पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन पर टैक्स चुकाना होगा।

विश्वविद्यालय की 300 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने अब विश्व विद्यालय परिसर में सुबह और शाम को भ्रमण करने वाले लोगों पर ऑक्सीजन टैक्स लगा दिया है। इस टैक्स के तहत अब मॉर्निग वॉक के लिए यहां आने वाले लोगों को एक एक पौधा लगाना होगा और पौधे का बड़े होने तक ध्यान रखना होगा। एडमिशन लेने वाले छात्रों को भी पांच पांच पौधे लगाने होंगे। जब तक वे पढ़ाई करेंगे उन्हें पौधो को संभालना होगा। इसके लिए विद्यार्थी को अलग से अंक भी दिए जाएंगे।

कुलपति अखिलेश कुमार का कहना है विश्वविद्यालय के 300 एकड़ कैंपस में वृक्षारोपण किया जाना है। वृक्षारोपण के महत्व को हम समझें तो एक मिनट में एक व्यक्ति 7 से 8 लीटर एयर लेता है जिसमें 20 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 550 लीटर एयर लेता है और एक पौधा दिनभर में 750 लीटर ऑक्सीजन बनाता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया गया कि हर रोज परिसर में 4 से 5 हजार लोग सुबह शाम घूमने आते हैं और कैंपस से कितना ऑक्सीजन लेते हैं। इसलिए अब घूमने आने वालों को टैक्स के रूप में पौधा लगाना होगा। उसका ध्यान भी रखना होगा। एडमिशन लेने वाले छात्रों को पौधा लगाने पर एक्स्ट्रा नंबर दिये जाएंगे। सेल्फी इकट्ठा कर पेड़ का रिकॉर्ड भी रखना होगा।

कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय का कहना है रोज 4-5 हजार लोग इस तरह ऑक्सीजन लेते रहेंगे तो नेचुरल ऑक्सीजन प्रोडक्शन इंडस्ट्री को बढ़ावा कैसे मिलेगा। बढ़ावा देने के लिए ही हमारा ये टैक्स के रूप में पौधा लगवाना उद्देश्य है। पौधा लगाना ही नहीं, जो जिम्मेदारी लेगा उसको पौधे का बड़ा होने तक ध्यान भी रखना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ऑक्सिजन कि कमी का महत्व लोगों ने बेहतर तरह से समझा होगा। नेचुरल इंडस्ट्री और आर्टीफिशियल इंडस्ट्री में अंतर समझ कर हमें इस और बढ़ना होगा।

कुलपति ने परिसर में आने वाले लोगों के साथ साथ एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए भी नियम बनाया है। उनका कहना है हर एक छात्र को पांच पौधों की जिम्मेदारी दी जाएगी। तीन या पांच साल तक की पढ़ाई के दौरान उन्हें इन पौधों का ध्यान रखना होगा। पास आउट होने के बाद उस पौधे की जिम्मेदारी दूसरे छात्र को मिलेगी। छात्रों के लिए ये एक तरह से प्रोजेक्ट होगा। इसके अलग से नंबर मिलेंगे। हर माह सेल्फी लेकर छात्र को रिकॉर्ड के तौर पर रखना होगी। इस अभियान के पीछे उद्देश्य सिर्फ ये है कि आने वाले पांच साल में यूनिवर्सिटी का 300 एकड़ का कैंपस हरा भरा हो और भविष्य में ऑक्सीजन की कमी ना हो। प्रत्येक छात्र का रजिस्टर मेनटेन किया जाएगा और उसे पौधे के आधार पर भी नंबर दिए जाएंगे।

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