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मप्र: भृत्य ने विधायक का लेटरहेड चोरी कर पांच हजार में बेचा…

भोपाल। राजधानी में एक अजीब मामला प्रकाश में आया है। एक पूर्व मंत्री का रसोईया औरएक वर्तमान मंत्री का चपरासी रह चुका व्यक्ति फर्जी नोट शीट बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाते थे। ये फर्जी नोटशीट विधायक सांसदों के नाम से होती थी। क्राइम ब्रांच ने इस  गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस ग्रुप में 5 लोग हैं जिनमें से दो मंत्रियों के यहां काम कर चुके हैं। एक व्यक्ति पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक रामपाल सिंह का पूर्व रसोईया है। दूसरा आरोपी स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी का चपरासी रह चुका है। हालांकि पुलिस की है जांच अभी अधूरी है और 3 सांसदों के फर्जी लेटर हेड मामले में जांच अभी जारी है।

प्रदेश में तबादलों पर से रोक हटने के बाद इन लोगों ने कमाई का शॉर्टकट रास्ता अपनाया था। मंत्री और विधायकों के यहां काम करते हुए कई लोग इनके संपर्क में थे। इसी कारण उन्होंने लेटर हेड चुराकर विधायक और सांसद के नाम से अनुशंसा के फर्जी लेटर बनाए और मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दिए। फर्जीवाड़े का मास्टर माइंड पूर्व मंत्री का पुराना कुक है।

कुक रामप्रसाद राही  ने फर्जी नोटशीट तैयार करवाने के लिए दो कम्प्यूटर आपरेटरों को रखा था।नोटशीट को सीएम कार्यालय तक पहुंचाने का जिम्मा शिक्षा विभाग के उसी भृत्य को दिया गया था। जिसने विधायक के बंगले से लेटरहेड चोरी किया था। नेहरूनगर में फोटो स्टेट की दुकान चलाने वाले रामकृष्ण राजपूत को रामप्रसाद ने फर्जी नोटशीट तैयार करने में शामिल कर लिया था। उसे एक नोटशीट की टाइप करने के दो से पांच हजार रूपये दिए जाते थे। रामकृष्णा ने

अपने भांजे दशरथ राजपूत को भी इसमें शामिल कर लिया।वह टीटीनगर फोटो स्टेट की दुकान चलाते हैं। यह दोनों मिलकर नोटशीट की टाइपिंग कर उसे तैयार करते थे। क्राइम ब्रांच के अनुसार अभी रामपाल सिंह के लेटरहेड पर फर्जी नोटशीट का भंडाफोड़ किया गया है। सांसदों की नोटशीट तैयार करने वालों की तलाश जारी है। सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर , महेंद्र सिंह सोलंकी , रोडमल नागर और विधायक रामपाल सिंह के नाम से फर्जी नोटशीट तैयार कर तबादले की

अनुशंसा कर उनको मुख्यमंत्री कार्यालय  भेजा जाता था। मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात अफसरों ने जांच में फर्जी बताकर उसकी शिकायत क्राइम ब्रांच को की  थी। इस मामले में 30 के करीब लोगों के साथ धोखाधड़ी का मामला दर्ज जांच अभी चल रही है। प्रारंभिक जांच के अनुसार शिक्षा विभाग के 27 , राजस्व विभाग के दो और चिकित्सा विभाग के एक शासकीय अधिकारी कर्मचारियों के तबादलों की अनुशंसा की गई थी।

शिकायत के बाद क्राइम ब्रांच ने उन लोगों को बुलाकर पूछताछ  शुरू की, जिनकी तबादलों की अनुशंसाए की गई थी। इस दौरान दो संदेहियो के नाम सामने आए थे। ये थे सुनहरी बाग जवाहर चौक निवासी 36 वर्षीय रामप्रसाद राही और ग्राम कानीबड़ा तहसील उदयपुरा जिला रायसेन निवासी 35 वर्षीय लखनलाल धाकड़।  इन दोनों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो दोनों ने फर्जी नोटशीट तैयार करना कबूल कर लिया। उन्होंने अपने साथी शिक्षा विभाग के भृत्य रामगोपाल पाराशर (54) निवासी मॉडल स्कूल परिसर टीटीनगर , रामकृष्ण राजपूत (31) और दशरथ राजपूत (44) निवासी ग्राम खामा पडवा तह हरदा जिला हरदा के बारे में बताया। क्राइम ब्रांच के एएसपी गोपाल धाकड़ ने बताया कि रामगोपाल पाराशर पूर्व में स्वास्थ्यमंत्री प्रभूराम चौधरी के बंगले पर काम कर चुका है। वह डाक लगाने के कई बार रामपाल सिंह के बंगले पर जाता था। तभी उसने विधायक के बंगले से लेटरहेड चुराकर पांच हजार में रामप्रसाद राही को बेच दिया था। विधायक रामपाल सिंह के बंगले का कनेक्शन भी सामने आया है। उनके बंगले पर पूर्व में रसोईया का काम करने वाला रामप्रसाद राही इस फर्जी नोटशीट पर तबादला कराने का मास्टर माइंट है। उसने बंगले पर काम करते समय यह जान लिया था कि नोटशीट किस तरह से तैयार होती है। वह रामपाल सिंह का हस्ताक्षर भी कॉपी करने लगा था। उसने अपने साथ विधायक के बंगले पर आने वाले लखनलाल को शामिल कर लिया था। वह उदयपुरा का रहने वाला था। उससे  रामप्रसाद की अच्छी दोस्ती हो गई थी।

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