लेखक की कलम से

सुप्रभात…

 

नींद निगोड़ी अंखियन में जाड़े में कुलबुलाय

कोई काम न आबे अबहीं चादर और रजाय

नया नया फैसन झाड़ के बचबन रहा दिखाया

बचके रहना कनकनी से सामने से भिड़ जाय!

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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