नई दिल्ली

स्विस बैंकों में 20 हजार करोड़ से अधिक जमा हुआ भारतीयों का कालाधन, मोदी सरकार ने दी सफाई…

नई दिल्ली (पंकज यादव) । नरेंद्र मोदी सरकार ने उन रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया है कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में उनकी सरकार के रहते भारतीयों का जमा पैसा बढ़कर 20 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है। दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को उन खबरों का खंडन किया, जिनमें भारतीयों के स्विट्जरलैंड में कथित तौर पर काला धन रखने का आरोप है और कहा कि उसने स्विस अधिकारियों से जमा पैसों के बारे में जानकारी सत्यापित करने के लिए उसने संपर्क साधा है और सूचना की मांग की है। बता दें कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने से पहले हिन्दुस्तानियों को कालाधन भारत लाने और लोगों के खातों में 15-15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था, लेकिन सात साल बीत जाने के बावजूद पीएम मोदी ने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया है।

दरअसल, स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक की तरफ से गुरुवार को जारी सालाना डेटा के मुताबिक, साल 2020 के दौरान स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों और संस्थानों व कंपनियों का जमा धन बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (करीब 20,700 करोड़ रुपये) से अधिक हो गया। 2019 में स्विस बैंकों में जमा धन 6628 करोड़ रुपए थे। यानी साल 2020 में स्विस बैंकों में कुल जमा राशि साल 2019 की तुलना में बढ़ कर 286 प्रतिशत हो गई। कुल जमा राशि 13 साल में सबसे ज्यादा है, जो साल 2007 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर है।

हालांकि, कांग्रेस ने स्विस बैंकों में जमा भारतीय नागरिकों का व्यक्तिगत पैसा और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 20,700 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने को लेकर शुक्रवार को नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि केंद्र सरकार श्वेत पत्र लाकर देशवासियों को बताए कि यह पैसा किनका है और विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने से पहले भाजपा ने कालाधन लाने और लोगों के खातों में 15-15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था, लेकिन सात साल बीत जाने के बावजूद उसने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया।

रिपोर्टों के अनुसार, इन आंकड़ों में वह धन शामिल नहीं है जो भारतीयों, प्रवासी भारतीयों या अन्य लोगों के पास स्विट्जरलैंड के बैंकों में तीसरे देश की संस्थाओं के नाम पर हो सकता है।

रिपोर्ट पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत और स्विटजरलैंड ने कर मामलों में पारस्परिक प्रशासनिक सहायता (एमएएसी) पर बहुपक्षीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों ने बहुपक्षीय सक्षम प्राधिकरण समझौते (एमसीए) पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसके अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2018 के लिए सालाना वित्तीय खाते की जानकारी साझा करने के लिए दोनों देशों के बीच सूचना का स्वत: आदान-प्रदान हो रहा है।

मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत और स्विटजरलैंड ने दोनों देशों के निवासियों के संबंध में वित्तीय खाते की जानकारी का आदान-प्रदान साल 2019 और 2020 में भी किया है। वित्तीय खातों की जानकारी के आदान-प्रदान के लिए मौजूदा कानूनी व्यवस्था को देखने पर (जिसका विदेशों में अघोषित संपत्ति के जरिए कर चोरी पर महत्वपूर्ण निवारक प्रभाव है) स्विस बैंकों में जमा में वृद्धि की कोई महत्वपूर्ण संभावना नहीं दिखती है।’

गौरतलब है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का व्यक्तिगत पैसा और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये से अधिक) हो गया। यह वृद्धि नकद जमा के तौर पर नहीं बल्कि प्रतिभूतियों, बांड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिये रखी गई होल्डिंग से हुई है। हालांकि, इस दौरान ग्राहकों की जमा राशि कम हुई है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा बृहस्पतिवार को जारी सालाना आंकड़े से यह जानकारी मिली।

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