लेखक की कलम से
मन की बात…
आओ बैठो यहां, सुबह होने तो दो।
बात मन की मुझे ,आज कहने तो दो।
कहते कहते ही, भोर हो जायेगी।
बात मन की, मन में ही रह जायेगी।
अपने मन की ये बातें,सुनाऊं तुमहे ।( 2)
सुनते-सुनते ही रात ,यूं कट जायेगी।
अपनी बाहों का हार, पहना दो मुझे।
बात आखों ही, आखों में हो जायेगी।
अपने मन की ये बातें ,सुनाऊं तुमहे।
सुनकर तुम्हारी नजर ,यू ही झुक जायेगी।
आओ बैठो यहां, सुबह होने दो।
तेरे पायल के घुंघरू, कुछ कहते मुझे।
तेरे बालों के गजरे, भी कहते मुझे।
बातों ही बातों में ,रात कट जायेगी। (2)
जाऊंगा ना कभी भी ,तुमहे छोड़ के।
आओ बैठो यहां, बात करने तो दो।
बात मन की , मन में ही रह जायेगी।
-नीना गुप्ता, हिसार, हरियाणा