लेखक की कलम से
यादें …
यादें तो यादें है इन यादों का क्या है
जब चाहे तब हम से मिलने चली आती है।
कभी हँसी बन के होठों पे बिखर जाती है
कभी आसूँ बन आखों से छलक जाती है
बहुत गहरा रिश्ता होता है इन्सान का
जीवन का एक हिस्सा होता है पहचान का
इसमें ही जुड़ी होती है गम और खुशियाँ
जिसमे होती जीवन की अनेकों पहेलियाँ
आज की बाते भविष्य में यादें बन जाती है
और कुछ जीवन को अधूरा छोड़ जाती है
मगर क्या करे इन्सान यादे सहारा है
जिन्दगी को जीने का मजबूत इशारा है।
©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड