लेखक की कलम से

मंथरा …

 

याद है ना सतयुग की

मंथरा

पर शायद हम नहीं पहचानते

इस युग की मंथरा को

कौन है ये ?

क्या –

जानी पहचानी सास-बहू

पति-पत्नी, बेटा-बेटी,

ननद-भाभी, नेता-अभिनेता,

पड़ोसी-पड़ोसन

लेखक- लेखिका

सोशल मीडिया

और ना जाने कितने असंख्य

सामाजिक चरित्र ?

 

रामायण तो याद है ना ?

उस युग के

राम, सीता और लक्ष्मण

हनुमान की सहायता से

लौट आए थे

चौदह वर्षों पश्चात

दीपक जले थे घर -घर में ,

और लौट आई थी ख़ुशियों की सौग़ात ।

पर वर्तमान समय में यदि

सुनी मंथरा की तुमने तब

तुम जीवन को

ना लिवा पाओगे

चौदह वर्षों में नहीं

चौदह सदियों तक

ना आ पाओगे ।

 

बचो ऐसी मंथरा से

उसके कहे में ना आना

धोना हाथ, मास्क लगाना ,

दो गज की दूरी पर रहकर

टीका जल्दी से लगवाना।

 

चलो सभी मिलकर अब

करें प्रार्थना ईश्वर से

कुछ प्रयासों और उस

ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरू, यीशु

की दया  से,

पाएँ विजय

इस महामारी पे।

 

©सावित्री चौधरी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश   

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