छत्तीसगढ़बिलासपुर

ईश्वर को बनाएं अपना सच्चा मित्र – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

बिलासपुर l जीवन में सभी को एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है चाहे खुशी हो, दुख हो या कोई परिस्थिति, हमें तलाश एक सच्चे दोस्त की होती है, सच्चा दोस्त वह जो एक दूसरे की भावनाओं, संवेदनाओं को समझें l बदलते दौर में हमने अपनी दोस्ती को धन के भाव में आंकना शुरू कर दिया है। छोटी -बड़ी स्थूल चीजों से अपनी दोस्ती का इजहार करने लगे हैं।

आज संवेदनाहीन मानव स्वार्थवश दोस्ती के नाम पर एक दूसरे के लिए तनाव का कारण बन जाता है, अतः जरूरत है सच्ची दोस्ती निभाने की l जीवन में आंतरिक शक्ति व गुणों की कमी ही दोस्ती में दरार उतपन्न करती है इसलिए स्वयं को गुणवान और सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि हमें जो सृष्टि में अभिनय मिला है उसे श्रेष्ठ अभिनयकर्ता की तरह निभा सकें l यदि हम किसी के दोस्त हैं तो उसे एक अच्छे दोस्त बन कर दिखाएं l हमारी दोस्ती केवल फ्रेंडशिप बेल्ट मात्र बन कर न रह जाए। इसे यादगार दिवस मनाने का अर्थ है, इसमें निहित भाव को अपनाना l

उक्त बातें अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर ब्रह्माकुमारीज, टिकरापारा, प्रभुदर्शन भवन सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी के नें उपस्थित व ऑनलाइन जुड़े साधकों को से कहीl

दीदी ने आगे कहा कि इस दिन केवल स्थूल वस्तुओं का नहीं वरन दुआओं का आदान प्रदान करें ल दुआएं दे और दुआएं लें, स्वयं भी खुश हो और दोस्तों के भी प्रसन्नता का कारण बनेंl अच्छा दोस्त बनने के लिए स्वयं को गुणी, शक्तिशाली व चरित्रवान बनाना होगाl सच्चे मित्र में विशेष तीन शक्तियों का होना जरूरी है पहला, समाने की शक्ति, किसी ने अपने दिल की बात हमसे कही उसे दूसरों तक न फैलाएं l दूसरा, सहयोग करने की शक्ति, हमें सदैव अपना व्यक्तित्व नि:स्वार्थ व एक – दूसरे की मदद करने का होना चाहिए l तीसरा, परखने की शक्ति, मित्र बनाने से पहले परखें क्योंकि कहा गया है संग तारे और कु- संग बोरेl जो हमेशा सकारात्मक हों ,आगे बढ़ाने वाले हों ऐसे मित्र का चुनाव आपको सफल बनाएगा l

ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने आगे कहा कि वर्तमान सच्चाई यह है कि परमात्मा ही एकमात्र हमारे सच्चे दोस्त हैं, शुभचिंतक है जो नि:स्वार्थ भाव से अपनी मित्रता निभाते हैं, हमेशा साथ देते हैं, हर धोखे से बचाते हैं, यदि हमारी दोस्ती भगवान से हो जाए तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीl कृष्ण और अर्जुन की अटूट मित्रता, सखा भाव और सुदामा व श्रीकृष्ण की गहरी मित्रता इसी का परिचायक है अनेक विकट परिस्थितियों से हमें निकालकर विजयी बना देने वाला, अनंत शक्तियों व गुणों के सागर परमपिता परमात्मा है अतः खुदा दोस्त को हम सच्चा दोस्त बना कर देखें हर पल साथ निभाने के लिए वह राजी है l अंत में सभी साधकों ने खुदा दोस्त के नाम पत्र लिखे व स्नेह सूत्र फ्रेंडशिप धागे परमात्मा को अर्पित किएl इस अवसर पर सभी ने सच्ची दोस्ती निभाने का संकल्प लिया और एक दूसरे की खुशहाली की कामना की गई l

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