लेखक की कलम से

नए साल के इंतज़ार में …

मैं फिर से

इंतज़ार में हूँ

कि कल

बदलेगी तस्वीर

और तक़दीर ।

एक उम्मीद

जागता साल

भविष्य के गर्भ में

कुछ अच्छा होगा ।

आशा की डोर

थामे चला आता

नए साल को थमा

वही डोर चला जाता ।

साल -दर -साल

दुनिया, देश, शहर, आदमी

कुछ नहीं बदलता

वादे, इरादे, योजनाएँ

छल करते राजा

छला जाता देश

और आदमी

तिल -तिल मरता

जीने की चाह में

हताश, निरीह आदमी

दिया जलाता है

उम्मीद का

कि

कल नया साल है !!

 

 

©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़                                                             

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