लेखक की कलम से

तस्वीर अब भारत की देखो …

महिला दिवस पर विशेष

स्वामी विवेकानंद ने कहा था – “नारी का उत्थान स्वयं नारी ही करेगी। कोई और उसे उठा नहीं सकता, वह स्वयं उठेगी। बस उठने में सहयोग की आवश्यकता है और जब वह उठ खड़ी होगी, तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। वह उठेगी और समस्त विश्व को अपनी जादुई कुशलता से चमत्कृत करेगी।”

 

‘तस्वीर अब भारत की देखो सब बदली- बदली लगती है,

हिंसा हो रही उस नारी की जो सबको जन्नति है।

 

मर्यादा की बात बता कर मत ड्योढ़ी में बंद करो।

कत्ल करो उस रावण का, घटना हरने की होती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली- बदली लगती है ।

 

जीने का अधिकार उसे है, अधिकारों के संगम में।

अधिकार छीनते हैं, जब उससे तब दुर्गा मां वह बनती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली-बदली लगती है।

 

नर इतना क्रूर हुआ पशुता भी शर्माती है,

घटना नारी की सुनकर छाती भी फट जाती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली- बदली लगती है।

 

नर समझे जग लीला को नारी ही सच्ची साथी है,

अधिकार उसे दे बढ़ने का तब आगे बढ़ पाती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली -बदली लगती है।

 

नारी ही घर की लक्ष्मी है, अपमानित जब होती है

लेकर तलवार हाथों में वह लक्ष्मीबाई बनती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली -बदली लगती है।

 

नारी का सम्मान करो, मत भारत को बदनाम करो।

अहिंसा से सिखलाओ हिंसक को,

जिससे यह हिंसा होती है।

तस्वीर अब भारत की देखो, सब बदली- बदली लगती है।’

©डॉ. अन्नपूर्णा तिवारी, बिलासपुर, छग

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