देश

Loksabha Election: झारखंड में 1 से 11 सीट तक पहुंचा BJP का ग्राफ, कांग्रेस का सूपड़ा साफ

रांची.

अलग झारखंड राज्य गठन के बाद 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का दबदबा बढ़ता गया। तब एक सीट ही भाजपा जीत सकी थी। अगले चुनाव में आठ तो वर्तमान लोकसभा में 12 सीटों (सहयोगी आजसू को एक सीट) पर काबिज है। 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो मत प्रतिशत भी चुनाव दर चुनाव बढ़ता रहा। इसके उलट कांग्रेस का मत प्रतिशत लगातार गिरता रहा।

सूबे में लोकसभा सीटों की वर्तमान स्थिति देखी जाए तो भाजपा के पास 14 में से 11 सीटें हैं जबकि चुनाव से ऐन पहले सांसद गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल हो जाने से कांग्रेस का खाता शून्य हो चुका है। अलग राज्य बनने के बाद झारखंड में पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ। 2004 में भाजपा सभी सीटों पर लड़ी तो उसका वोट प्रतिशत सर्वाधिक 33 ़फीसदी रही लेकिन एक ही सीट कोडरमा जीत पाई। इस सीट से बाबूलाल मरांडी जीते थे। दूसरी ओर कांग्रेस ने 21.4 फीसदी वोट के साथ छह सीटों धनबाद, गोड्डा, खूंटी, लोहरदगा, रांची और सिंहभूम पर जीत हासिल की। रांची से सुबोध कांत सहाय, गोड्डा से फुरकान अंसारी, लोहरदगा से डॉ. रामेश्वर उरांव जैसे कद्दावर नेताओं ने परचम लहराया। वहीं झामुमो चार सीटों दुमका, गिरिडीह, जमशेदपुर और राजमहल पर कब्जा जमाया। दुमका से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन निर्वाचित हुए थे। राजद ने दो सीट पलामू और चतरा पर जीत हासिल की तथा सीपीआई ने एक सीट हजारीबाग अपने नाम किया।

2009 में आधे से अधिक संसदीय सीटों पर खिला कमल
2004 के उलट भाजपा ने 14 में से आठ सीटों पर जीत हासिल की। हालांकि भाजपा का मत प्रतिशत 2004 की तुलना में घटकर 33 से 27.5 पर पहुंच गया। 2009 में बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा नई ताकत के रूप में उभरी और उसने 10.5 फीसदी मत प्राप्त किया। बाबूलाल मरांडी के अलग चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया और इसका लाभ भाजपा को सीटों की संख्या में मिला। अपनी पार्टी झाविमो से चुनावी समर में कोडरमा में उतरे बाबूलाल मरांडी ने भी जीत दर्ज की। साथ ही 2004 की तुलना में 2009 कुल वोटिंग टर्नआउट भी 4.8 प्रतिशत कम रहा। 2009 में भाजपा ने धनबाद, गिरिडीह, गोड्डा, हजारीबाग, जमशेदपुर, खूंटी, लोहरदगा, राजमहल पर कब्जा जमाया।

2014 में भाजपा 12 पर पहुंची
2014 के चुनाव में भाजपा और मजबूत हुई। पार्टी ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर 12 सीटों को भगवा रंग से रंग दिया। झामुमो को दो सीटों पर दुमका और राजमहल पर जीत मिल सकी। मत प्रतिशत पर गौर करें तो भाजपा 40.7 पर पहुंच गई। 2009 की तुलना में भाजपा के वोट शेयर में 13.2 प्रतिशत का जबर्दस्त इजाफा हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस और क्षेत्रीय दल झाविमो शून्य पर आ गए।

2019 में भाजपा का मत प्रतिशत 11 फीसदी बढ़ा
2009 में भाजपा 11 सीटों पर जीती, लेकिन एक सीट गिरिडीह पर एनडीए खेमे के तहत आजसू ने प्रत्याशी दिया और यहां से जीत कर चंद्रप्रकाश चौधरी संसद पहुंचे। इस प्रकार एनडीए के खाते में फिर 12 सीटें आई। यह पीएम मोदी लहर का दौर था जहां भाजपा ने अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराया। कांग्रेस और झामुमो को एक-एक सीट पर जीत से संतोष करना पड़ा। झारखंड गठन के बाद लगातार तीन बार से दुमका में जीत रहे शिबू सोरेन को भाजपा के सुनील सोरेन ने हरा दिया।

2024 की चुनौती
2024 के चुनाव में एनडीए के सामने पिछली कामयाबी को दोहराने की बड़ी चुनौती है। भाजपा जीत के हर फार्मूले को अपनाने में जुटी है। पिछली बार कांग्रेस को एकमात्र सीट सिंहभूम पर जीत दिलाने वाली गीता कोड़ा कमल के साथ जा चुकी हैं। इंडिया गठबंधन अब तक सीट शेयरिंग का ऐलान नहीं कर पाया है दूसरी ओर भाजपा ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अब बाबूलाल मरांडी के जिम्मे ही भाजपा की कमान है इसलिए उनपर न केवल 2014 और 2019 का प्रदर्शन को दुहराने बल्कि इसे और आगे ले जाने की चुनौती है।

Back to top button