लेखक की कलम से
अक्षर गीत…
अ-अ से अनार में दाना है।
मिल बाँट कर खाना है।।
आ-आ से आम को लाएंगे ।
चूस -चूस कर खाएंगे।।
इ-इ से इमली खट्टी है।
क्यूँ तेरी- मेरी कुट्टी है।।
ई-ई से ईख घर लाएंगे।
उनसे गुड़ बनाएंगे।।
उ-उ का उल्लू तब रोता है।
जब सारा जग सोता है।।
ऊ-ऊ से ऊँट है ऐसा प्राणी।
जो पी लेता सात दिनों का पानी।।
ऋ-ऋ का ऋषि तपस्वी है।
वो बड़े ओजस्वी है।।
ए-ए से एक होता है।
एकता में बल होता है।।
ऐ-ऐ का ऐनक लटकाए कान में।
बाबा जी बैठे हैं दुकान में।
ओ-ओ से ओखली लाओ न।
मसाले कूट दिखाओ न।।
औ-औ से औरत का सम्मान करो।
भूलकर न अपमान करो।।
अं-अं के अंगूर रोज खाओ न।
बल -बुद्धि बढ़ाओ न।।
अ:-अहा !अहा !क्या बात है।
आज हो रही बरसात है।।
©श्रवण कुमार साहू, राजिम, गरियाबंद (छग)