लेखक की कलम से
कृष्ण …
आज महाभारत और गीता
दोनों ही साथ याद आए
ना जाने कितने दिनों से
भूलीं बैठी थी
धुंधला गई थी नज़र
और समझ नहीं पाई थी कि
मैं अभी इतनी ज्ञानी नहीं कि
समझ पाऊँ इन दोनों
ग्रन्थों के दर्शन को।
वास्तविक युद्ध क्या है ?
मानसिक,पारिवारिक,
संसारिक या फिर
कर्तव्यपालन ?
ना जाने मैंने कहाँ पढ़ा था और मैं सहमत हूँ उस
तर्क से
कि पांडवों को
अपनी पाँच इन्द्रियों के
रूपों में देखो और समझो
अरे आँखें मत सिकोड़ो
सुनो तो —-
और कौरव है सौ विकार ,
कृष्ण या जिसमें
आपकी आस्था हो
उनकी कृपा से इन सभी विकारों पर
विजय पाई जा सकती है ।
और कृष्ण कौन है?
कृष्ण है आपकी
अन्तरात्मा की आवाज़
का वो प्रकाश
जो मार्ग दर्शक है
हम सभी का ।
©सावित्री चौधरी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश