मध्य प्रदेश

ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना में हराने वाले केपी यादव ने दी नसीहत, कांग्रेस ने ली चुटकी …

भोपाल. कांग्रेस ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उन्हें लोकसभा चुनाव हराने वाले सांसद केपी यादव से जुड़ा एक वीडियो ट्वीट किया है. इसमें मंत्री सिंधिया को उनके पुराने समर्थक यादव नसीहत देखे दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो पर कांग्रेसी चुटकी ले रहे हैं.

इस वीडियो को कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने शुक्रवार को ट्वीट किया. इसमें सांसद केपी यादव का एक वीडियो अटैच है. इसमें केपी यादव कह रहे हैं कि सिंधिया को अपने जो भी लोग हैं उन्हें समझाना चाहिए. अब हम भाजपा के कार्यकर्ता हैं. हमे पार्टी की रीति नीति को समझकर अब काम करना चाहिए. सलूजा ने न केवल ये वीडियो ट्वीट किया, बल्कि उसके आगे पंच लाइन भी लिखी – ‘टिकाऊ की बिकाऊ को सलाह.’

सामने आए वीडियो में गुना-शिवपुरी सांसद केपी यादव एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दे रहे हैं. वे उस सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्वागत पर किया गया था. केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद हाल ही में पहली बार ग्वालियर आए सिंधिया का शहर में स्वागत किया गया था. सिंधिया समर्थकों ने जगह-जगह फूलों और भीड़ जुटाकर उनका स्वागत किया. रोड शो को 200 जगह रोका गया और पुष्प वर्षा की गई.

ये कह रहे बीजेपी सांसद – यादव की इस प्रतिक्रिया से कांग्रेस को विवाद खड़ा करने का मौका मिल गया. वीडियो में यादव की बात साफ-साफ सुनाई दे रही है. वे कह रहे हैं – केन्द्रीय मंत्री सिंधिया को मैं भी बहुत मानता हूं. पर उन्हें अपने जो भी लोग हैं उन्हें समझाना चाहिए, अब हम भाजपा के कार्यकर्ता हैं. भाजपा में कार्यकर्ता ही पार्टी का आधार होता है. कार्यकर्ता ही पार्टी में सब कुछ होता है. केपी यादव वीडियो में कह रहे हैं कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैं भी बहुत मानता हूं पर उन्हें अपने लोगों को समझाना चाहिए.

ये है सिंधिया-केपी का पुराना नाता – बता दें, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे. यादव सिंधिया के समर्थक रहे हैं. लेकिन, बाद में यादव ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का हाथ लिया. साल 2019 लोक सभा चुनाव में BJP ने उन्हें गुना-शिवपुरी से उम्मीदवार बनाया. यादव ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सिंधिया को हराकर सभी को चौंका दिया. क्योंकि, सिंधिया की सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. सिंधिया को हराने के बाद भाजपा में केपी की स्थिति मजबूत हो गई. पर जबसे सिंधिया भाजपा आए और केन्द्रीय मंत्री बने, तबसे केपी की स्थिति पहले जैसी मजबूत नहीं रही.

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