बिलासपुर

.कौवा मामा आम गिरावो

(बाल गीत)

 

.कौवा मामा आम गिरावो ,हम तुम दोनों खायेंगे

 

चलो बजार लायेंगे दुल्हन कोने में बैठाएंगे /

 

कौवा बैठा पेड़ पर फुलवा पहुंची दौड़ कर

 

बड़ी चाव से खड़ी निहारे देवता पुरखा सभी पुकारे

 

मनोभाव की सरबस मारआँखों से टपकती लार .

 

हाथ जोड़ कर बोली फुलवा

 

कौवा मामा आम गिरावो हम तुम दोनों खायेंगे

 

चलो बजार लायेंगे दुल्हन कोने में बैठाएंगे /

 

पना अमावट सपन भये सब कोइलासी नही मिलती

 

गिरी कटुहिली बदा न होती मुनियाँ दिन भर रोती

 

मंहगा महंगा आम बिक रहा कैसे हम चख पायें

 

दस बीघा का सोन बगीचा एक आम नहीं खाए

 

कौवदोनों खायेंगेा मामा आम गिरावा  

 

चलो बजार लायेंगे दुलहन कोने में बैठाएंगे

 

एक कटुहिली चोंच दबाये कौवा था कुछ ऐंठा

 

बड़े शान से निरख रहा था एक डाल पर बैठा

 

सहज भाव से बोली फुलवा मामा कुछ तो बोलो

 

टुकुर टुकुर क्या देख रहे हो अपना मुह तो खोलो

 

अपनी इस गुमसुम चुप्पी काराज कोई बतलाओ

 

तुम्हरी बोली बड़ी मधुर है कोई गीत सुनाओ

 

कांव कांव कर बोला कौवा आम गिरा धरती पर

 

झट से लेकर भागी फलवा पैर धरे निज सर पर

 

भाग रही थी ऐसे जैसे सरबस मिला सहज था

 

थी प्रसन्न कुछ ऐसे जैसेह जीवन सफल हुआ था

 

जोर जोर चिल्लाई फुलवा कौवा मामा आम गिरावो

 

हम तुम दोनों खायेंगे चलो बजार लायेंगे दुलहन ……….

@प्रो. सरोज मिश्र, बिलासपुर छत्तीसगढ़

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