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काराकाट और गया जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा और जीतन मांझी के खाते में

शिवहर
एनडीए के रणनीतिकार सीट एडजेस्टमेंट को लेकर एक आधार तो तैयार कर ही चुके थे। मसला, सिर्फ इतना सुलझाना था कि जेडीयू के एनडीए में आने के बाद जो छोटे छोटे दल हैं उनका एडजस्टमेंट कैसे किया जाए। खासकर वह दल जिनके पास एक भी सीटिंग सांसद नहीं थे। अब इन्हें एडजस्ट करने को लेकर 2019 में जो सेटिंग एनडीए के बीच हुई थी उसमें मामूली फेर बदल जरूर हुआ। इस फेर बदल के दायरे में चार लोकसभा सीटें आई। इनमें गया, काराकाट, नवादा और शिवहर को लेकर नए समीकरण तैयार किए गए। पर इस फेर बदल को लेकर सांसदों के परफॉर्मेंस कारण नहीं बना। एडजस्टमेंट के खेल में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को अपनी जीती हुई दो लोकसभा सीटें छोड़नी पड़ी। हालांकि बदले में उन्हें एक सीट शिवहर के रूप में जरूर मिली है। वहीं बीजेपी और एलजेपी ने एक-एक सीटों की कुर्बानी दी है। कुछ नेताओं को एडजेस्ट करना ही बड़ा कारण बना। जानते हैं इस फेर बदल का सच क्या है…

शिवहर में लवली आनंद को एडजस्ट करना था

गत लोकसभा चुनाव 2019 में शिवहर भाजपा के हिस्से में थी। यहां से भाजपा की उम्मीदवार रमा देवी थी। इन्होंने राजद के उम्मीदवार फैसल अली को जबरदस्त टक्कर दी थी। भाजपा की उम्मीदवार रमा देवी को 608678 मत मिले जबकि राजद के फैसल अली को मात्र 268318 मत मिले थे। रमा देवी ने लगभग तीन लाख से ज्यादा वोटों से परास्त किया था। 2014 के लोकसभा ने भी भाजपा के उम्मीदवार रमा देवी ने राजद के अंवरूल हक को एक लाख 40 हजार मतों से हराया।

हालांकि रमा देवी के टिकट कटने की चर्चा थी। वजह उनकी उम्र बताई जा रही थी। पर यहां खेला दूसरा हो रहा था। दरअसल, फ्लोर टेस्ट ने लवली आनंद के बेटे ने जो मदद की उसका इनाम जदयू में शामिल हुई लवली आनंद को उम्मीदवार बनाना था। इस वजह से जदयू को एडजस्टमेंट में शिवहर सीट मिली। अब उम्मीदवार की घोषणा भर बाकी है।

दूसरे नंबर पर रहे जीतन मांझी गया से आजमाएंगे भाग्य

अब इसे लोकतंत्र की खूबसूरती समझे या फिर मजबूरी, पर सच यह है कि गत लोकसभा 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे जीतन राम मांझी गया लोकसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में जदयू के विजय माझी ने जीतन राम मांझी को एक लाख से ज्यादा मतों से हराया था। 2014 लोकसभा चुनाव में तो भाजपा के हरी मांझी चुनाव जीते थे। जदयू से चुनाव लड़ रहे जीतन राम मांझी तीसरे स्थान पर रहे।

वर्ष 2024 के चुनाव में एडजस्टमेंट के तहत जीतन राम मांझी को गया लोकसभा चला गया। एनडीए की यह मजबूरी थी कि जीतन राम मांझी के लिए गया लोकसभा से ज्यादा सुरक्षित सीट दूसरा नहीं। और एक बात यह भी थी कि जीतन राम मांझी गया से चुनाव लड़ते भी रहे हैं।

महाबली पर भारी पड़े रनर उपेंद्र

एडजेस्टमेंट में काराकाट लोकसभा सभा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा 2024 का लोक सभा चुनाव लड़ेंगे। इनके पास एक भी सीटिंग सीट नहीं है। काराकाट से 2014 लोकसभा चुनाव उपेंद्र कुशवाहा जीते भी थे। और केंद्र में मंत्री भी बने। 2019 लोकसभा में जदयू के महाबली सिंह चुनाव लड़े थे। तब महाबली सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को 70 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। लेकिन जदयू के रणनीतिकार लवली आनंद के लिए शिवहर चाह रहे थे तो बदले में काराकाट एडजस्टमेंट किया गया। वैसे भी उपेंद्र कुशवाहा कहीं से भी सांसद नहीं हैं। और काराकाट लोकसभा से ये कई बार चुनाव लड़े भी हैं।

नवादा से खम ठोकेंगे विवेक

सीट एडजेस्टमेंट के तहत लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान को नवादा से दावा छोड़ना पड़ा। वैसे भी नवादा के सीटिंग सांसद चंदन सिंह राष्ट्रीय लोजपा में जा चुके थे। अमित शाह ने प्रारंभ में ही नवादा पर दावा ठोकते कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में यहां से कमल खिलेगा। चिराग पासवान भी चाचा पशुपति पारस के साथ गए सभी सांसदों को लोजपा आर में लाने को इच्छुक भी नहीं थे। और बड़ी ही सहूलियत के साथ नवादा भाजपा के कोटे में आ गया। बदले में चिराग पासवान को विवेक ठाकुर के लोकसभा जाने के बाद रिक्त राज्य सभा सीट लोजपा(आर) के खाते में चाल जायेगा।

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