मध्य प्रदेश

ज्योतिर्लिंग क्षरण मामला : भस्म और जल के लिए जाएंगे नमूने, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक्सपर्ट कर रहे हैं जांच …

उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल क्षरण के मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का दल बुधवार को महाकाल मंदिर पहुंचा। दल ने गर्भगृह में शिवलिंग की गोलाई और लंबाई नापी। इसके लिए नाड़े का उपयोग किया गया। दल ने विभिन्न यंत्रों से भी जांच की। नमूने लेने के साथ शिवलिंग के सभी ओर से फोटो लिए गए। गुरुवार को भी विशेषज्ञों का दल जांच करेगा। इस दौरान भगवान को चढ़ने वाली भस्म और अन्य पूजन सामग्री के नमूने भी लिए जाएंगे।

उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग का क्षरण सबकी चिंता का विषय बना हुआ है। शिवलिंग की जांच के लिए आज फिर आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जीएसआई की टीम ने शिवलिंग की मज़बूती की जांच की और उस पर चढ़ायी जा रही सामग्री और जल का सैंपल लिया। टीम अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। भक्तों को महाकाल के दर्शन के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं उसके बाद तय होगा।

उल्लेखनीय है कि ज्योतिर्लिग क्षरण केस में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जीएसआई, एएसआई और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की के विशेषज्ञ समय-समय पर महाकाल मंदिर आते रहे हैं। विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करते हैं। सीबीआरआई ने हाल में सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट में मंदिर के स्ट्रक्चर के संधारण आदि का सुझाव दिया था। इस पर महाकाल मंदिर समिति ने उज्जैन विकास प्राधिकरण संधारण के लिए एक योजना तैयार की है।

जल के नमूने भी लिए : दल ने शिवलिंग के क्षरण की मौजूदा स्थिति, पाषाण की स्थिति, मजबूती विभिन्न द्रव्यों से पड़ने वाले प्रभाव आदि बिंदुओं पर जांच की। जिस जल से भगवान का अभिषेक किया जाता है, उसके नमूने भी लिए। विशेषज्ञों ने गर्भगृह के तापमान को भी नापा और अधिकारियों से जानकारी ली। सदस्य गुरुवार को भगवान को अर्पित होने वाली भस्म का भी नमूना लेंगे। भस्म के पीएच मानक की भी जांच की जाएगी। पूर्व में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया था कि क्षरण रोकने के लिए भस्म का पीएच मानक कम होना चाहिए। हालांकि, दल के सदस्यों ने मीडिया से कोई भी जानकारी साझा नहीं की। इस दल में आठ सदस्य शामिल थे।

क्या है क्षरण मामला : 2017 में उज्जैन की सारिका गुरु ने ज्योतिर्लिंग महाकाल के क्षरण को लेकर हाइकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की टीम गठित कर क्षरण संबंधी रिपोर्ट तैयार करवाई थी। रिपोर्ट में क्षरण रोकने के लिए उपायों को बताया गया था। इसके आधार पर कोर्ट ने मंदिर समिति को कई निर्देश दिए थे। इनमें आरओ जल से शिवलिंग का अभिषेक करने, पंचामृत अभिषेक पर रोक, गर्भगृह का तापमान कम रखने, महाकाल को पहनाए जाने वाले आभूषणों का वजन कम करने सहित कई निर्देश शामिल थे। कोर्ट ने जीएसआइ, एएसआइ के माध्यम से समय-समय पर मंदिर का निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।

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