लेखक की कलम से

जीवन …

जीवन देने वाले मालिक तेरा शुक्रिया

स्वासं मे सिमरे मालिक तेरा शुक्रायाना

जीवन की डोरी कैसी है

लम्बी या छोटी पता नही

कान्हा से प्रीत गहरी है।

हर पल तेरा शुक्रिया

मुझे जो दिया

देह ,स्वास का अनुपम उपहार

देने वाले मालिक तेरा शुक्रिया

तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया

ये पल जो मैंने जी लिया

तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया

अहसास का तेरा शुक्रिया

हर आस का तेरा शुक्रिया

जो तूने मुझको भेंंट किये

बहुमूल्य  क्षण

मेरे रोम रोम से

तेरा शुक्रिया तेरा शुक्रिया

है शुक्रिया जज्बात का

विश्वास का तेरे शुक्रिया

तू  साथ   मेरे  है  सदा

इस बात का तेरा शुक्रिया।

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा                        

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