लेखक की कलम से

अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच का वार्षिकोत्सव मना…

अहमदाबाद इकाई की अंतरराष्ट्रीय महिला काव्य मंच को एक वर्ष पूर्ण होने पर 11 अक्टूबर को वार्षिकोत्सव मनाया गया। इस इकाई की सबसे बड़ी उपलब्धि ये रही है कि कोरोना के कठिन काल के चलते भी हर महीने एक काव्यगोष्ठी का आयोजन बहुत सुचारू रूप से होता रहा।

आज भी बहुत आयोजनबद्ध तरीक़े से ये गोष्ठी सम्पन्न हुई, जिससे समय का व्यय ना होने की वजह से बहुत सारी कवियित्रियाँ , अपनी रचनायें प्रस्तुत कर सकीं। इस बार संचालन का भार सम्हाला -सुश्री नीता व्यास ने।

गोष्ठी की शुरुआत दीपप्रागट्य से की गयी , जिसमें कार्यक्रम की संयोजक सुश्री कुमुद वर्मा की तकनीकी कुशलता से आभासी दीप प्रागट्य किया गया। और फिर हिमाली व्यास द्वारा गायी गयी सरस्वती वंदना का विडीयो पेश किया गया।

उसके बाद सुश्री चेतना अग्रवाल द्वारा रचित, एक स्वागतगीत बहुत ही सुंदर व रचनात्मक तरीक़े से प्रस्तुत किया गया,जिसमें ग्रुप की हर सखी को समा लिया गया था। इस कृति को देख सब अतिउल्लसित हुए।

अहमदाबाद इकाई की अध्यक्षा सुश्री मधु सोसि ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में काव्यमय पुष्पार्पण करते हुए मुख्य अतिथि संस्थापक सुश्री नियति भारद्वाज गुप्ता, अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्षा सुश्री मधु मधुमन, राष्ट्रीय सचिव सुश्री रचना निगम, प्रांतीय अध्यक्षा सुश्री मंजु महिमा व प्रांतीय सचिव सुश्री विभा पंसारी का स्वागत किया व इकाई की वार्षिक गतिविधियों का ब्यौरा दिया। जो कि सुश्री कुमुद वर्मा द्वारा तैयार किया गया था। सबने मधु सोसि जी के नेतृत्व और पूरी टीम की महेनत की भूरि भूरि प्रशंसा की। नीता व्यास ने संचालन की बागडोर सम्हालते हुए काव्यगोष्ठी का आरम्भ किया।

इसमें संगठन की सखियों मुक्ता महेता, ममता सिंह, दीपमाला, रश्मि सारस्वत, अल्पना पुनेठा, चेतना अग्रवाल, विनीता कुमार, सीमा शर्मा, ज्योति अमीन पटेल “ नूर-ए-शमा “ , रेणु शर्मा, दिव्या विधानी, जानकी पालीवाल, रेखा नायर, प्रतिभा पुरोहित, प्रीति अज्ञात, मल्लिका मुखर्जी, प्रभा मजूमदार, मधु प्रसाद, मधु माहेश्वरी, प्रणव भारती, डॉ. पुष्पलता शर्मा, नीता व्यास, कुमुद वर्मा, कविता पंत, मधु सोसि , विभा पसारी, मंजु महिमा, रचना निगम ने अपनी कविताओं को विविध विषयों के फलक को समाते हुए व बहुत ही भावपूर्ण अन्दाज़ में प्रस्तुत कीं।

अंत में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्षा सुश्री मधु मधुमन व संस्था के संस्थापक नाज़ साहब और उनकी पत्नी सुश्री नियति भारद्वाज गुप्ता ने अपनी विशेष उपस्थिति को अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करने के खूबसूरत अन्दाज़ व आवाज़ से सबको मंत्रमुग्ध करते हुए सही अर्थों में विशेष बना डाला।

ग़ज़ल साम्राज्ञी मधु मधुमन ने अपना ताज़ा कलाम पेश किया तो नियति ने साँझ की बेला के द्रश्य को शब्दों का रूप देते हुए चित्र में बदल दिया। नाज़ साहब ने “ लोक-परलोक” शीर्षक के अंतर्गत, “ लोक “ में एक शृंगार रस की रचना का पठन करके सबको भिगो दिया, तो “ परलोक “ में उन्होंने कुछ बन्ध पेश किए जो आध्यात्मिक ऊँचाइयों को छू रहे थे।

उन्होंने वो समाँ बाँधा कि जिसमें से वापस आने को जी ना चाहे। पर आना तो था और गोष्ठी का समापन करना तो था। कुल करीब 34 कविगणों ने काव्य पाठ किया। सुश्री प्रणव भारती ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए् ये सिलसिला आगे बढ़ाया व सुश्री कुमुद वर्मा ने समापन स्वस्तिपाठ करके इस गोष्ठी को अंजाम तक पहुँचाया।

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