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RSS शिविर में संघ प्रमुख मोहन ने कहा- हमारे पूर्वज कई देशों की यात्रा पर गए, लेकिन किसी पर अपनी पूजा थोपी नहीं …

बिलासपुर। मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहन भागवत ने मंच से समाज, पर्यावरण और भारत की संस्कृति पर अपनी बात कही। मोहन ने धर्म परिवर्तन करने वालों को मुंगेली के मंच से चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि कोई किसी को बदलने की चेष्टा न करें। सबका सम्मान करें। हमारे (हिन्दू) पूर्वज कई देशों की यात्रा पर गए, लेकिन कभी किसी पर अपनी पूजा नहीं थोपी। हमें किसी को धर्मांतरण नहीं जीने का तरीका सिखाना है। ऐसी सीख सारी दुनिया को देने के लिए हमारा जन्म भारतभूमि में हुआ है। हमारा पंथ (हिन्दू) बिना किसी की पूजा बदले, प्रांत व भाषा बदले अच्छा मनुष्य बनाता है। कार्यक्रम में नेता-प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय, विधायक पुन्नूलाल मोहेले सहित प्रदेश के कई भाजपा नेताओं ने शिरकत की।

संघ प्रमुख ने कहा कि एकता होगी तभी हम एक होंगे। हमारे यहां विविधता में एकता है। अनेक भाषाएं, अनेक देवी-देवता, खानपान, रीति-रिवाज अनेक प्रांत और जाति हैं और यही देश को सुंदर बनाते हैं। पूरे देश में भारत का सम्मान होता है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में पहली बार स्वयं सेवक संघ का बड़ा आयोजन किया गया है। मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में बड़ी संख्या में आरएसएस के सदस्य पहुंचे, जहां अभ्यासवर्ग चल रहा है। सर संघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में पहली बार छत्तीसगढ़ लोकगीत ‘तोर कतका करवं बखान…’ की धुन के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का घोष कार्यक्रम शुरू हुआ है। स्वयं सेवकों ने इस दौरान सात तरह के वाद्य यंत्रों के साथ घोष प्रदर्शन किया।

हर साल माघ महीने में मदकूद्वीप में मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में प्रदेशभर से मसीही समाज के लोग जुड़ते हैं। इसी स्थल पर आयोजित संघ के घोष कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ी लोकगीत ‘तोर कतका करवं बखान वो मोर धरती मइया जय होवय तोर…’ से हुई तो पूरा माहौल धरती माता की भक्ति से सराबोर हो गया।

बता दें कि मदकूद्वीप में 100 सालों से प्रदेश का सबसे बड़ा ईसाई मेला लग रहा है। समूचे इलाके में ईसाई समुदाय का प्रभाव है। पास ही स्थित बैतलपुर में मध्य भारत का सबसे बड़ा मिशनरी अस्पताल स्थापित हुआ था। यहीं मध्य भारत का पहला कुष्ठ अस्पताल भी था। शिवनाथ नदी पर स्थित मदकुद्वीप को मण्डूक ऋषि की तपोभूमि भी माना जाता है। यहां खुदाई में प्राचीन मंदिरों का समूह मिला है। यह वनांचल क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में आदिवासी निवास करते हैं। इस क्षेत्र से धर्मांतरण की खबरें भी बहुत ज्यादा आती है।

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