लालटेन के युग में …
ट्यूबलाइट और हेलोजन के,
जगमगाते वर्तमान दौर से,
शायद बेहतर था वह अतीत,
जिनकी रौशनी भले ही मद्धिम थी,
लेकिन भविष्य उज्जवल दिखता था,
उस लालटेन के युग में—-
********
कितना अच्छा था वह समय,
न बिजली गुल होने की चिंता,
न भारी भरकम बिजली बिल।
एसी कूलर के इस दौर में ,
लोग चैन से सो नहीं पाते।
लेकिन वह भी क्या दिन थे,
जब लोग चैन की बंशी बजाते थे,
बेफिक्र एक नई सुबह की आस में,
उस लालटेन के युग में—-
*******
इस प्रतिस्पर्धा के दौर में,
विद्यार्थी लाख दावा करे,
अपने विद्वान होने का,
कागज की डिग्री के बल पर,
लेकिन विद्यावान होने का हुनर,
तो सिर्फ वही जानते थे।
जो धुंधले रौशनी में भी,
अपना वजूद तलाशते थे।
उस लालटेन के युग में—
*******
हालांकि,इस भौतिकवादी दौर में,
हम सभी सुविधाओं से परिपूर्ण है।
लेकिन वह सुख नहीं, वह शुकुन नहीं,
वह चैन नहीं, वह अहसास नहीं,
जो शायद पहले कहीं बेहतर था।
उस लालटेन के युग में—-
©श्रवण कुमार, राजिम, छग