लेखक की कलम से

शिक्षा का महत्व…

शिक्षा का नहीं है कोई मोल

जीवन को राह दिखाती है यह तो है अनमोल

बाल्यकाल से बुढ़ापे तक चलती है यह प्रक्रिया

बिन शिक्षा के सफलता की नहीं कर सकते कोई क्रिया।

खोलती है ज्ञान की आंखें यह

देती है संस्कार हमें यह

सभ्यता से हमारी पहचान कराती

लक्ष्य तक हमें है पहुंचाती।

गुण का हो जाए शिक्षा से विकास

न रहे मन में कोई विकार

जीवन की हर खुशी को पाने की राह है शिक्षा

मानव के हर समस्या का समाधान है शिक्षा।

शिक्षा बिन न करना संभव वैज्ञानिक प्रयास

अपनी मां और मातृभूमि को जानने का ख्याल

शिक्षा के बिना कैसे पूरी हो सकती यह ख्वाब

शिक्षा पर तो है सबका अधिकार।

स्वाभिमान से जीना सिखाती शिक्षा

चांद तारों के बारे में बताती शिक्षा

मंगल ग्रह तक पहुंचाती शिक्षा

अंतरिक्ष की भी सैर कराती शिक्षा।

पाकर शिक्षा कोई करता चाकरी

कोई करता देश की रखवाली

कोई करता नए- नए आविष्कार

कोई बनता जनता की बुलंद आवाज़।

नारी जब पाती शिक्षा

बन जाता शिक्षित पूरा परिवार

देती संस्कार, सभ्यता और स्नेह अपार

संयम से करती हर समस्या का समाधान।

जब एक बच्चा पाता शिक्षा

जानता कैसे करना है सम्मान बड़ों का

देश का विकास कैसे करना है

इस मातृभूमि के लिए तो मर मिटना है।

लड़के जब शिक्षित बनते हैं

वंश का नाम रोशन करते हैं

देते सम्मान हर नारी को

हर किसी की सुरक्षा वे करते हैं।

रीति रिवाज़ से होती पहचान है

काबिल बनना ही एकमात्र लक्ष्य है

स्वर्ण अक्षरों में लिखते तब इतिहास हैं

शिक्षा की सकारात्मक पहचान है।।

-डॉ. जानकी झा, सहायक प्राध्यापिका, क्वायित्री, कटक, ओडिशा

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