लेखक की कलम से

इश्क में मेरे …

ग़ज़ल”

 

“जरा सी मुसीबत की आंधी क्या आईं।

कहीं रिश्ता बदला ,कहीं यार बदला।।

 

सलाहें भी बदली, अदाएं भी बदलीं।

यकीं था हमारा , वही प्यार बदला।।

 

जो खुशियों के मौसम में था साथ मेरे।

हवाओं सा उसने भी किरदार बदला।।

 

हरी वादियों जैसी उम्मीद टूटी।

वो पतझड़ में होकर गिरफ्तार बदला।।

 

किया जिसने वादा था ,संग में रहेगा।

वो कर्तव्य भूला तो अधिकार बदला।।

 

 

लगा वक्त मुझको ये ठहर हुआ सा।

जो था इश्क में मेरे बीमार बदला।।

 

लगाकर वो सीने से कुछ कह गया था।

न जाने हुआ क्यों वो, लाचार बदला।।

 

लबों से निकल कर पराई हुई थी।

मेरी बात सुनकर वो अखबार बदला।।

 

चलाता था मुझपे जो शब्दों का जादू।

खफा हो गया मुझसे, फनकार बदला।।

 

नज़र उसने फेरी, नजरिया बदलकर।

मुहब्बत का अब सारा, आसार बदला।।”

 

©अम्बिका झा, कांदिवली मुंबई महाराष्ट्र           

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